सुशील मोदी ने कहा कि नीतीश कुमार की लोकप्रियता घटी है. इसलिए पार्टी को वोट दिलाने की उनकी क्षमता खत्म हो गई. लिहाजा, जदयू 44 सीटों पर सिमट गया. लेकिन वे भाजपा पर ठीकरा फोड़ रहे हैं. यदि ऐसा था तो अब गोपालगंज, कुढनी और दिल्ली के चुनाव में जदयू की हार क्यों हुई?
उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार ने विपक्षी एकता की मुहिम में अपनी विफलता स्वीकार कर ली. उन्हें 2024 नहीं, बल्कि 2029 के लिए प्रयास करना चाहिए. सुशील मोदी ने कहा कि हाल के गुजरात और हिमाचल प्रदेश चुनाव में नीतीश कुमार कांग्रेस और केजरीवाल की पार्टी को एक मंच पर नहीं ला पाये. विपक्षी एकता के लिए जेपी जैसा विराट व्यक्तित्व चाहिए. जिसमें सत्ता पाने की आकांक्षा ना हो. जाहिर है कि प्रधानमंत्री बनने की इच्छा रखने वाले नीतीश कुमार कभी जेपी नहीं हो सकते.
सुशील मोदी ने कहा कि जो पार्टी बिहार के तीन में से एक उपचुनाव भी नहीं जीत पायी. जिसका राज्य के बाहर कोई आधार नहीं और जिसे दिल्ली के बिहारी मतदाताओं ने भी नकार दिया, वह लाल किले पर झंडा फहराने का सपना देख रही है. जदयू को गुजरात में जीरो फीसदी वोट मिला और दिल्ली महानगर परिषद के चुनाव में जिस पार्टी के सभी 22 उम्मीदवारों की जमानत जब्त हो गई, उसके नेता नीतीश कुमार को प्रधानमंत्री के रूप में कौन स्वीकार करेगा?
जेडीयू के खुला अधिवेशन में राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह ने सुशील मोदी पर साधा निशाना साधते हुए कहा कि दिन भर इनका एक ही मक़सद रहता है मीडिया में छपते रहे. हर रोज ट्वीट करते रहते हैं, ताकि उनको अपने पार्टी में कुछ जगह मिल जाए. नीतीश जी के पुराने सहयोगी रहे हैं, बोलते रहे शायद कुछ मिल जाए. ललन सिंह ने कहा कि बिहार में चालीस में चालीस सीट लोकसभा में जितने जा रहे हैं. इसमें कोई शक नहीं होना चाहिए. लोकसभा में बीजेपी का बहुमत से ज्यादा कुछ ही सीट है जो अब बढ़ने वाला नहीं है.