क्या राजभर पर अखिलेश का दांव OBC में गैर-यादव वोट को खींच पाएगा? जमीनी हकीकत और फसाने को यूं समझिए

यूपी में अंतिम चरण का मतदान 7 मार्च को पूरा होगा. इसके बाद 10 मार्च को वोटो की गिनती में यह साफ हो जाएगा कि यूपी का ताज किसे मिलने वाला है. बहरहाल इस बार समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) ने जीतने के लिए कोई कोर कसर नहीं छोड़ी है. आमतौर पर यह माना जाता है कि सपा यादव और मुसलमानों की पार्टी है. इस छवि को मिटाने के लिए अखिलेश यादव ने इस बार कई क्षेत्रीय पार्टियों से गठबंधन किया लेकिन सबसे ज्यादा चर्चा सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (Suheldeo Bharatiya Samaj Party -SBSP) के साथ गठबंधन का है. एसबीएसपी 2017 में बीजेपी के साथ थी और 8 सीटों में से चार सीटें जीतकर आई थी. इस बार सपा के साथ उनका गठबंधन कितना सफल हो पाएगा, यह तो 10 मार्च को ही पता चलेगा लेकिन जमीनी हकीकत में नेताओं के दावे अस्पष्ट दिख रहे हैं.

सुहेलदेव समाज पार्टी का प्रभाव पूर्वी यूपी में ज्यादा है. पिछले चुनाव में यहां बीजेपी को अप्रत्याशित सफलता मिली थी लेकिन इस बार एसपी ने एसबीएसपी से समझौता कर मुकाबला दिलचस्प बना दिया है. अखिलेश यादव ओबीसी में ज्यादा से ज्यादा गैर यादव के वोट को हासिल कर राज्य की सत्ता पर काबिज होने की कोशिश कर रहे हैं लेकिन यह इतना भी आसान नहीं है.

ओपी राजभर की सीट का हाल
गाजीपुर के जहूराबाद सीट से इस बार सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के प्रमुख ओम प्रकाश राजभर चुनाव लड़ रहे हैं. पिछली बार वे बीएसपी के कालीचरण राजभर को 18 हजार वोटों से हराया था. सपा यहां तीसरे नंबर पर रही थी. तब वे बीजेपी के साथ थे. इस बार उनका मुकाबला बसपा से बीजेपी में आए कालीचरण राजभर से ही है. इंडियन एक्सप्रेस की खबर में जहूराबाद विधानसभा क्षेत्र के एक गांव तिलथिया के 82 साल के किसान माधव राजभर कहते हैं, इस गांव का हर वोट राजभर को जाएगा. एक स्थानीय सपा नेता अभिषेक यादव कहते हैं, गाजीपुर जिले का वोट या तो साइकिल को जाएगा या सुहेलदेव की छड़ी को.

दूसरी ओर मुबारकपुर गांव के 44 वर्षीय उमेश बताते हैं कि अखिलेश यादव की पार्टी को दलितों पर भरोसा नहीं है. इसलिए हमारा वोट बसपा को जाएगा. हालांकि जहूराबाद सीट से एआईएमआईएम (AIMIM) और बसपा ने भी अपना उम्मीदवार उतारा है लेकिन मुख्य मुकाबला ओपी राजभर और बीजेपी के कालीचरण के बीच ही है. जहूराबाद में राजभर, दलित और यादव की जनसंख्या लगभग समान है. इसके अलावा भूमिहार, बिंद, ब्राह्मण और कुशवाहा समाज की भी थोड़ी जनसंख्या है.

यूपी में 3 से 4 फीसदी राजभर समुदाय
यूपी की आबादी में 3 से 4 प्रतिशत हिस्सा राजभर समुदाय का है. पूर्वांचल में इसका खासा प्रभाव है. अखिलेश यादव इस क्षेत्र में कुछ अन्य पार्टियों के साथ गठबंधन कर 17 सीटों पर बर्चस्व कायम करना चाहते हैं. दूसरी ओर एक स्थानीय बीजेपी नेता कहते हैं बीजेपी अधिकांश पिछड़े समाज में स्वीकार्य है जबकि सपा सिर्फ यादव और मुसलमानों की पार्टी है. इस बात की झलक 27 वर्षीय निषाद समाज के जिगन की टिप्पणी में भी देखने को मिलता है. वे कहते हैं. हमारा वोट कमल को जाएगा क्योंकि हम बाबाजी (योगी आदित्यनाथ) को पसंद करते हैं. उन्होंने कहा कि बीजेपी ने हमें मुफ्त राशन दिया. आज तक किसने हमें राशन दिया था. बीजेपी ने यहां निषाद पार्टी से समझौता किया है. अलावलपुर शहर के एक सब्जी बिक्रेता छोटे लाल कहते हैं, कुशवाहा समाज बाबूसिंह के साथ जाएंगे. गौरतलब है कि बाबूसिंह कुशवाहा ने एआईएमआईएम के साथ समझौता किया है. छोटे लाल कहते हैं, हमें पता है कि एआईएमआईएम नहीं जीतेगी लेकिन हम कुशवाहा को ही वोट देंगे, राजभर को नहीं.

शिवपुर में अनिल राजभर को मिल रही कड़ी टक्कर
सुहेलदेव भारतीय समाज के लिए एक और सीट महत्वपूर्ण है. वह है पीएम मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी की शिवपुर. शिवपुर से ओपी राजभर के पुत्र अरविंद को बीजेपी विधायक अनिल राजभर से कड़ी और सीधी चुनौती मिल रही है. ओपी राजभर के योगी मंत्रिमंडल से जाने के बाद अनिल राजभर को मंत्री बना दिया गया था. बीजेपी ने ओपी राजभर के बदले अनिल राजभर को राजभर समुदाय के असली नेता के रूप में पेश किया है. अखिलेश ने यहां पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी के साथ रैली किया था. पिछली बार अनिल राजभर यहां से 53 हजार वोट से सपा के आनंद मोहन यादव को हराया था. शिवपुर में सोईपुर गांव के प्रकाश राजभर ने बताया, पिछली बार अनिल राजभर को राजभर समुदाय का पूरा वोट गया था लेकिन इस बार इसमें बंटवारा होगा. हालांकि प्रकाश यह भी बताते हैं कि ओम प्रकाश राजभर ने बहराइच में सुहेलदेव के लिए एक भव्य स्मारक का विरोध किया क्योंकि उनकी नजर मुस्लिम मतदाताओं पर थी. इसलिए कई लोग उनसे नाराज हैं.

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