महाराष्ट्र विधानसभा के राजनैतिक गलियारे में सरकार बनाने को लेकर रस्साकसी अभी भी जारी है। एक तरफ जहां शिवसेना है, जो किसी भी कीमत पर महाराष्ट्र की सत्ता पर काबिज होना चाहती है तो वहीं दूसरी तरफ एनसीपी है, जो अपनी शर्तों पर शिवसेना के साथ मिलकर सरकार बनाना चाहती है। बात की जाए कांग्रेस की, तो कांग्रेस अब तक ये तय ही नहीं कर पाई है कि विपरीत विचारधारा वालों से हाथ मिलाना कहीं भविष्य के लिए खतरे की घंटी ना बन जाए। इस बीच सत्ता में हिस्सेदारी को लेकर भी कांग्रेस और एनसीपी में चर्चा चल रही है।
मंगलवार को मुंबई के वाईबी चव्हाण सेंटर में दिल्ली से गए तीन कांग्रेस नेताओं अहमद पटेल, मल्लिकार्जुन खड़गे और केसी वेणुगोपाल ने एनसीपी प्रमुख शरद पवार के साथ बैठक की थी सूत्रों की माने तो, इस बैठक में चार अहम बिंदुओं पर चर्चा भी हुई थी। एनसीपी ने इस बात पर जोर दिया कि स्थाई सरकार के लिए कांग्रेस को सरकार का हिस्सा बनना चाहिए, जबकि कांग्रेस का जोर कॉमन मिनिमम प्रोग्राम पर था। वहीं, सरकार में हिस्सेदारी को लेकर भी एनसीपी ने अपना पक्ष स्पष्ट किया था।
खबरों की माने तो कांग्रेस और एनसीपी की बैठक में मुख्यमंत्री पद को लेकर भी चर्चा हुई है। मीटिंग में एनसीपी ने फॉर्मूला रखा कि शिवसेना और उसके बीच ढाई-ढाई साल के लिए मुख्यमंत्री पद का बंटवारा किया जाए, जबकि कांग्रेस को पूरे पांच साल के लिए डिप्टी सीएम का पद मिले। तो वहीं दिल्ली में कांग्रेस की ओर से कैबिनेट की रूपरेखा भी सामने आई। सूत्रों की माने तो कांग्रेस आलाकमान तीनों दलों में सत्ता की बराबर की भागीदारी चाहती हैं। जिसमे 42 कैबिनेट मंत्री बनाए जाएं और उनमें से शिवसेना और एनसीपी के साथ 14-14 मंत्री बांटे जाएं। यानी इस गढ़ना के मुताबिक कांग्रेस-शिवसेना और एनसीपी के 14-14 मंत्री सरकार में रहें। इसके साथ ही कांग्रेस की नजर गृह और राजस्व जैसे अहम मंत्रालयों पर है। जिस तरह से शिवसेना मुख्यमंत्री पद से समझौता नहीं करना चाहती उसे देखते हुए सूबे में दो उप-मुख्यमंत्री होने की बात भी सामने आ रही है आपको बता दें फिलहाल महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन लागू है।