भारत में 2 वैक्सीन को मंजूरी मिलने के बाद इस पर सियासत जोरों पर है। इस बीच भारत बायोटेक के MD कृष्णा एला का बड़ा बयान आया है। उन्होंने कहा कि कुछ लोगों द्वारा वैक्सीन का राजनीतिकरण किया जा रहा है, मैं यह स्पष्ट रूप से बताना चाहता हूं कि मेरे परिवार का कोई भी सदस्य किसी भी राजनीतिक दल से नहीं जुड़ा है। इसलिए इस पर राजनीति नहीं चाहिए।
एमडी Krishna Ella ने कहा कि हम सिर्फ भारत में क्लिनिकल ट्रायल नहीं कर रहे हैं। हमने ब्रिटेन सहित 12 से अधिक देशों में क्लिनिकल ट्रायल किए हैं। हम पाकिस्तान, नेपाल, बांग्लादेश और अन्य देशों में भी क्लिनिकल ट्रायल कर रहे हैं। बता दें कि भारत बायोटेक की कोवैक्सिन को ड्रग्स कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (DCGI) ने इमरजेंसी यूज की मंजूरी दे दी है। इस पर विपक्ष ने आरोप लगाया है कि ये मंजूरी हड़बड़ी में दी गई है।
वैक्सीन बनाने का अच्छा खासा अनुभव है
Krishna Ella ने आलोचकों पर निशाना साधते हुए कहा कि केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (CDSCO) 2019 द्वारा निर्धारित शर्तों के आधार पर मंजूरी दी गई है। हम ऐसी कंपनी नहीं हैं, जिसके पास वैक्सीन बनाने का अनुभव नहीं है। हमारे पास वैक्सीन बनाने का अच्छा खासा अनुभव है। हम 123 देशों के लिए काम कर रहे हैं। इस तरह का अनुभव रखने वाली हमारी एक मात्र कंपनी है। इसलिए हमारे वैक्सीन पर कोई सवाल न उठाए।
एल्ला ने कहा कि कई लोग कह रहे हैं कि हमारे डेटा में पारदर्शिता नहीं बरती गई है। ऐसे लोगों को संयम रखना चाहिए और इंटरनेट पर डेटा के संबंध में जो आर्टिकल पब्लिश हैं, उन्हें पढ़ना चाहिए। अब तक 70 से ज्यादा आर्टिकल इंटरनेशनल जर्नल्स में पब्लिश हो चुके है।
US के पास भी नहीं है ये सुविधा
डॉक्टर Krishna Ella ने कहा कि ये गर्व की बात है कि पूरी दुनिया में केवल हमारे पास BSL-3 प्रोडक्शन सुविधा है। US के पास भी ये सुविधा नहीं है। हम दुनिया में पब्लिक हेल्थ इमरजेंसी में मदद करने के लिए हैं, चाहे वो कोई भी हिस्सा हो। तीसरे फेज के ट्रायल पर उन्होंने कहा कि ये अगले 2-3 दिनों में समाप्त हो जाएगा और डेटा फरवरी या मार्च तक उपलब्ध हो जाएगा।
उन्होंने कहा कि मर्क के इबोला वैक्सीन ने कभी भी हयूमन क्लीनिकल ट्रायल को पूरा नहीं किया, लेकिन WHO ने लाइबेरिया और गिनी के लिए आपातकालीन प्रयोग करने की अनुमति दी थी। Krishna Ella ने कहा कि अभी हमारे पास 20 करोड़ खुराक हैं। हम चार सेंटर में 7 करोड़ खुराक क्षमता हासिल करने का लक्ष्य लेकर चल रहे हैं। इनमें से 3 हैदराबाद में और एक बेंगलुरु में सेंटर है। शुरुआत में वैक्सीन की कीमत थोड़ी अधिक हो सकती है।