पंजाब कांग्रेस के प्रदेश प्रधान Navjot Singh Sidhu के सलाहकार मालविंदर माली और डा. प्यारे लाल गर्ग के बयानों पर आज मंत्रियों ने जिस प्रकार से गुस्सा दिखाया है वह अन्य कांग्रेसियों में इससे कहीं ज्यादा है। उनका कहना है कि मात्र दीवारों पर लिखे भारत विरोधी स्लोगन पर अगर केस दर्ज हो सकते हैं तो इन पर कार्रवाई क्यों नहीं हो रही है।
असल में पार्टी के नेता डा. गर्ग के बयान से कम मालविंदर माली की पोस्टों से ज्यादा नाराज हैं। चूंकि वह पार्टी में कुछ नहीं हैं और अपने विचारों को निजी बता रहे हैं, इसलिए कांग्रेसी मंत्रियों ने भी अपना हमला Navjot Singh Sidhu पर रखा कि उनके बयानों के कारण पार्टी को नुकसान हो रहा है।
1993 में मालविंदर माली के खिलाफ पंजाब पुलिस ने नेशनल सिक्योरिटी एक्ट और टाडा के तहत केस दर्ज था, क्योंकि वह लगातार भड़काऊ चीजें लिख रहे थे। दिलचस्प बात यह है कि मुख्यमंत्री कैप्टन Amarinder Singh जिस माली के खिलाफ लगातार बयान दे रहे हैं उनके पिछले कार्यकाल में वह उनके आफिस में काम करते रहे हैं। उनके पास कैप्टन के खिलाफ भी काफी मसाला है जिसकी एक झलक आज उन्होंने अपनी फेसबुक पर दिखा दी है।
वर्ष 2016 में रोपड़ के सरकारी स्कूल से रिटायर होने से पहले वह 2002 से लेकर 2007 तक लोक संपर्क अधिकारी के रूप में काम करते रहे हैं और सरकार बदल जाने के बाद उन्होंने यही काम प्रकाश सिंह बादल के दफ्तर के लिए किया, लेकिन बादल सरकार के समय लोक संपर्क मंत्री सेवा सिंह सेखवां से बहस होने के कारण उन्हें शिक्षा विभाग में वापस भेज दिया गया। शिक्षा विभाग में भी वह चुप नहीं बैठे और मंत्री सिकंदर सिंह मलूका से उन्होंने लंबे समय तक पंगा लेकर रखा। माली वामपंथी स्टूडेंट संगठन पंजाब स्टूडेंट यूनियन के भी नेता रहे हैं, लेकिन बाद में पंजाब में शुरू हुई मिलिटेंसी के दौर में उनका भी समर्थन किया। एसजीपीसी के सबसे लंबे समय तक प्रधान रहे जत्थेदार गुरचरण सिंह टोहरा के वह प्रेस सेक्रेटरी भी रहे हैं।