Taliban Rule in Afghanistan

तालिबान शासन को लेकर क्‍या है भारत की रणनीति,जानिए

अफगानिस्‍तान में तालिबान के प्रभुत्‍व के साथ यह सवाल उठने लगे हैं कि भारत की क्‍या स्‍टैंड होना चाहिए। Taliban के साथ भारत का रुख कैसा रहेगा। Afghanistan में भारत के समक्ष क्‍या बड़ी चुनौती हैं। Afghanistan को लेकर पाकिस्‍तान, चीन और रूस की रणनीति से भारत की चिंता क्‍यों बढ़ गई है। Afghanistan में किस तरह के समीकरण बन रहे हैं। इस नए समीकरण में भारत के समक्ष किस तरह की नई चुनौती खड़ी होगी। आखिर इस सब मुद्दों पर क्‍या कहते हैं विशेषज्ञ।

भारतीय विदेश नीति के समक्ष बड़ी चुनौती

प्रो. हर्ष पंत का कहना है कि फ‍िलहाल तालिबान को लेकर भारत ने जो रुख अपनाया है, वह बिल्‍कुल सही है। उन्‍होंने कहा कि Afghanistan में हालात तेजी से बदल रहे हैं। पानी के स्थिर होने तक भारत को सब्र के साथ ही काम लेना चाहिए। उन्‍होंने कहा कि फ‍िलहाल Afghanistan के पूरे घटनाक्रम पर भारत की पैनी नजर होगी। पंत ने जोर देकर कहा कि Taliban अब 1990 के दशक का तालिबान नहीं रहा।

Afghanistan में Taliban की दूसरी पारी का स्‍वरूप बदला हुआ है। रूस, पाकिस्‍तान और चीन ने Taliban के साथ जो रुख अपनाया है, उससे उसका वैश्‍वीकरण हो गया है। उन्‍होंने कहा कि अमेरिकी सैनिकों की वापसी के साथ तीनों मुल्‍क Talibanके साथ दिख रहे हैं। अमेरिकी विरोध के चलते तीनों देश तालिबान के करीब आए हैं। यह स्थिति भारत के लिए कतई शुभ नहीं है। हालांकि पंत का मानना है कि भविष्‍य में भारत रूस के जरिए अफगानिस्‍तान में अपने हितों को साध सकता है।


उन्‍होंने कहा कि पूर्व का Taliban पूरी तरह से पाकिस्‍तान के नियंत्रण में रहा है, लेकिन इस बार उसके रुख में बहुत बदलाव आया है। सत्‍ता हासिल करने के पहले Taliban यह कह चुका है कि उसके जमीन का इस्‍तेमाल किसी अन्‍य देश के खिलाफ नहीं किया जा सकता है। उसने यह साफ कर दिया कि Afghanistan की जमीनसे किसी आतंकवादी संगठन का संचालन नहीं होगा। उन्‍होंने कहा कि अब यह देखना दिलचस्‍प होगा कि Taliban की कथनी और करनी में कितना फर्क है। अगर Afghanistan अपने स्‍टैंड पर कायम रहता है तो भारत के लिए यह शुभ रहेगा।


उन्‍होंने कहा कि Taliban के पिछले शासनकाल में उसको मान्यता नहीं मिली थी, लेकिन इस बार तस्‍वीर इसके उलट है। इस बार दुनिया के के दो ताकतवर देश जैसे रूस और चीन उसे मान्यता दे रहे हैं। यूरोप के देश भी ऐसा ही कर सकते हैं। ऐसे में इस बार अपनी सुरक्षा और संप्रभुता को देखते हुए भारत के लिए तालिबान के साथ रिश्‍तों का संचालन कैसे होगा यह दिलचस्‍प है।


उन्‍होंने कहा कि चीन और पाकिस्‍तान से भारत के संबंधों के परिपेक्ष में अगर Afghanistan के घटनाक्रम को देखा जाए तो स्थिति चिंताजनक है। नए समीकरण में पाकिस्‍तान, चीन और रूस के साथ अफगानिस्‍तान में एक नया ध्रुव स्‍थापित हो रहा है। इसमें ईरान और मध्‍य एशिया के कई देश भी शामिल हो सकते हैं। पंत ने कहा कि Taliban लाख कहे लेकिन चीन और पाकिस्‍तान भारत के खिलाफ इसका पूरा फायदा उठाने की कोशिश करते रहेंगे।


अफगानिस्‍तान में सत्‍ता हासिल करने के पूर्व अपना उदारवादी चेहरे दिखाने की भी कोशिश की है। इसके बावजूद Afghanistan के विभिन्‍न प्रांतों में Taliban की ज्‍यादती बढ़ रही है। तालिबान कह चुका है कि वह पूर्व की सत्‍ता में शामिल लोगों के साथ बदले की भावना से काम नहीं करेगा, लेकिन उसके लड़ाके घरों की तलाशी लेकर पूर्व की सरकार में काम करने वाले अफसरों एवं राजनेताओं को ढूंढ रहे हैं। इस क्रम में Taliban से लोहा लेने वाली बल्‍ख प्रांत की गवर्नर सलीमा मजारी को भी गिरफ्तार किया है। उन्‍होंने कहा कि तालिबान लड़ाके लोगों को एयरपोर्ट पर नहीं जाने दे रहे हैं।

Leave a Comment

Your email address will not be published.

बिहार के इन 2 हजार लोगों का धर्म क्या है? विश्व का सबसे अमीर क्रिकेट बोर्ड कौन सा है? दंतेवाड़ा एक बार फिर नक्सली हमले से दहल उठा SATISH KAUSHIK PASSES AWAY: हंसाते हंसाते रुला गए सतीश, हृदयगति रुकने से हुआ निधन India beat new Zealand 3-0. भारत ने किया कीवियों का सूपड़ा साफ, बने नम्बर 1