Archana Sharma Suicide Case

राजस्थान में महिला चिकित्सक की आत्महत्या का मामला गरमाया,सीएम ने कहा-दोषियों को नहीं बख्शेंगे,तो राजे ने की ये मांग

Archana Sharma Suicide Case: डॉक्टर अर्चना शर्मा सुसाइड केस (Dr. Archana Sharma Suicide Case) राजस्थान में लगातार तूल पकड़ता जा रहा है। इस मामले को लेकर एक तरफ जहां प्रदेशभर के डॉक्टर्स आक्रोशित हो रहे हैं वहीं अब बीजेपी (BJP) भी इस मामले को लेकर गहलोत सरकार और पुलिस पर हमलावर हो गई है। मामले के तूल पकड़ने के बाद आज सीएम अशोक गहलोत (Ashok Gehlot) ने ट्वीट घटना पर दुख जताया है। गहलोत ने कहा कि पूरे मामले की गंभीरता से जांच की जा रही है। दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा। पूर्व सीएम वसुंधरा राजे (Vasundhara Raje) ने घटना की निष्पक्ष जांच की मांग की है. चिकित्सा मंत्री परसादीलाल मीणा (Parsadi Lal Meena) ने कहा कि यह प्रशासन की लापरवाही है। नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया (Gulabchand Kataria) ने कहा कि पहले ही दिन धारा 302 का अपराधी बना कर कार्रवाई करना गलत है। कानून में भी इस पर रोक है।

सीएम अशोक गहलोत ने ट्वीट कर कहा कि दौसा में डॉ. अर्चना शर्मा की आत्महत्या की घटना बेहद दुखद है। हम सभी डॉक्टर्स को भगवान का दर्जा देते हैं। हर डॉक्टर मरीज की जान बचाने के लिए अपना पूरा प्रयास करता है। परन्तु कोई भी दुर्भाग्यपूर्ण घटना होते ही डॉक्टर पर आरोप लगाना न्यायोचित नहीं है। अगर इस तरह डॉक्टर्स को डराया जाएगा तो वे निश्चिंच होकर अपना काम कैसे कर पाएंगे। हम सभी को सोचना चाहिए कि कोविड महामारी या अन्य दूसरी बीमारियों के समय अपनी जान का खतरा मोल लेकर सभी के सेवा करने वाले डॉक्टर्स से ऐसा बर्ताव कैसे किया जा सकता है।

पूर्व सीएम राजे ने कहा निष्पक्ष जांच होनी चाहिये
राजे पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने कहा कि पुलिस के भय से महिला चिकित्सक द्वारा आत्महत्या करने की घटना से मन बहुत आहत है। डॉ.अर्चना वही चिकित्सक है जिसने अपनी जान की परवाह नहीं करते हुए कोरोना काल में लोगों की जान बचाई। इस घटना की निष्पक्ष जांच होनी चाहिये। चिकित्सा मंत्री परसादी लाल मीणा ने कहा कि घटना दुखद है। ऐसा नहीं होना चाहिए था। यह प्रशासन की लापरवाही है। मामला धारा 302 में दर्ज नहीं होता तो वो आत्महत्या नहीं करती। यह पुलिस अधिकारियों की नासमझी है। सुसाइड नोट के अनुसार कार्रवाई होगी।

कटारिया बोले धारा 302 का अपराधी बनाकर कार्रवाई करना गलत
नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया ने कहा कि डॉक्टर्स की सुरक्षा के लिए केंद्र और राज्य के कानून हैं। जब तक जांच पूरी नहीं हो जाती तब तक किसी को दोषी नहीं ठहराया जा सकता. जांच में प्रमाणित होता है तो ही कार्रवाई होती है। महिला डॉक्टर के इस मामले में पहले ही दिन धारा 302 का अपराधी बना कर कार्रवाई करना गलत है। डॉक्टर जिम्मेदारी से अपनी ड्यूटी करता है. राज्य सरकार ऐसे विषयों पर संवेदनशीलता दिखाये। बड़े से बड़े व्यक्ति को इसमें शामिल होकर ऐसे मामलों को सुलझाना चाहिए।

आक्रोशित डॉक्टर्स कल करेंगे दो घंटे का कार्य बहिष्कार
इस घटना से आहत चिकित्सक समुदाय अब भड़कने लग गया है। राजधानी जयपुर में डॉक्टर्स ने प्रदेश के सबसे बड़े सवाई मानसिंह अस्पताल से लेकर स्टेच्यु सर्किल तक रैली निकाली। इससे स्टेच्यु सर्किल पर यातायात जाम हो गया। जार्ड और टीचर्स एसोसिएशन ने निर्णय लिया है कि कल सुबह 9 से 11 बजे तक दो घंटे सभी रूटीन कार्यों का बहिष्कार किया जायेगा. उसके बाद शाम को अमर जवान ज्योति पर श्रद्धांजलि सभा आयोजित की जायेगी।

लालसोट में सोमवार को हुई थी प्रसूता की मौत
उल्लेखनीय है कि दौसा के लालसोट कस्बे के आनंद हॉस्पिटल में सोमवार को प्रसव के दौरान एक प्रसूता की प्रसव के दौरान अचानक मौत हो गई थी। इस पर मृतका के परिजनों और ग्रामीणों की ओर से किये गये हंगामे के बाद अस्पताल के डॉक्टर सुनित उपाध्याय और उनकी पत्नी डॉ. अर्चना शर्मा के खिलाफ हत्या का मामला दर्ज किया गया था। इससे आहत हुई डॉ. अर्चना ने मंगलवार को सुबह घर पर फांसी का फंदा लगाकर सुसाइड कर लिया था। इससे पहले डॉ. अर्चना ने एक भावुक सुसाइड नोट भी लिखा था जिसमें उन्होंने खुद को बेकसूर बताया था।

जानें, क्या है मामला

दरअसल, चिकित्सा मंत्री के निर्वाचन क्षेत्र लालसोट के आन्नद अस्पताल में दो दिन पहले प्रसूता की मौत हो गई थी। नवजात पूरी तरह से सुरक्षित है। मौत के बाद स्वजन प्रसूता का शव घर ले गए, लेकिन अंतिम संस्कार से पहले कुछ लोगों ने इस मामले में महिला चिकित्सक डा. अर्चना शर्मा को दोषी मानते हुए हंगामा खड़ा कर दिया। डा. अर्चना शर्मा के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 302 के तहत केस दर्ज करवाया गया है। खुद पर प्रसूता की मौत का आरोप लगने से परेशान अवसाद में आई डा. अर्चना ने मंगलवार को फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। निजी अस्पताल संचालकों और चिकित्सकों से जुड़े संगठन प्राइवेट हास्पिटल्स एंड नर्सिंग होम्स सोसायटी (पीएचएनएचएस), जयपुर मेडिकल एसोसिएशन (जेएमए) और मेडिकल प्रैक्टिशनर सोसायटी (एमपीएस) ने इस मुद्दे पर विरोध जताते हुए बंद का आह्वान किया। पीएचएनएचएस के सेक्रेटरी डा. विजय कपूर ने कहा कि निजी अस्पतालों में ओपीडी बंद रही। केवल इनडोर मरीज और इमरजेंसी में आने वाले मरीजों को ही देखा गया। उन्होंने बताया कि इस मामले में हमने प्रशासन से मांग की है कि जल्द से जल्द दोषी पुलिसकर्मियों को तुरंत निलंबित कर गिरफ्तार किया जाए। पुलिस द्वारा प्रताड़ित करने के कारण डा. अर्चना ने आत्महत्या की। विभिन्न सामाजिक संगठनों ने लालसोट में धरना देकर डा. अर्चना को प्रताड़ित करने वालों को गिरफ्तार करने की मांग की।
सीएम अशोक गहलोत ने कहा, दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा

सीएम अशोक गहलोत ने ट्वीट कर कहा कि डा.अर्चना शर्मा की आत्महत्या की घटना दुखद है। हम सभी डाक्टरों को भगवान का दर्जा देते हैं। हर डाक्टर मरीज की जान बचाने का पूरा प्रयास करता है। परन्तु कोई भी दुर्भाग्यपूर्ण घटना होते ही डाक्टर पर आरोप लगाया जाना न्यायोचित नहीं है। अगर इस तरह डाक्टरों को डराया जाएगा तो वह निश्चिंत होकर काम नहीं कर सकेंगे। इस पूरे मामले की गंभीरता से जांच की जा रही है। दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा।
केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने विशेष कमेटी से जांच करवाने की मांग की

वहीं, केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने इस मामले में हर पहलू की विशेष कमेटी से जांच करवाने की मांग की है। शेखावत ने कहा कि यह खुदकुशी जरूर है, मगर मैं इसे हत्या कहना चाहूंगा, अपरोक्ष रूप से हत्या उन लोगों ने की है, जिन्होंने प्रशासन का दुरुपयोग दुरूह परिस्थितियां निर्मित की।
आत्महत्या से पहले डा.अर्चना ने लिखी मार्मिक चिट्ठी

डा. अर्चना आत्महत्या करने से पहले एक मार्मिक चिठ्ठी लिखी थी। उन्होंने लिखा कि मैं अपने पति और बच्चों से बहुत प्यार करती हूं। कृपया मेरे मरने के बाद इन्हें परेशान नहीं करना। मैंने कोई गलती नहीं की, किसी को नहीं मारा। मेरा मरना शायद मेरी बेगुनाही को साबित कर दे।

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