इस वक्त पूरी दुनिया कोरोना वायरस के संकट से जूझ रही है। लगभग दुनियाभर के सभी देशों में लॉकडाउन लागू है। इस लॉकडाउन का असर अर्थव्यवस्था पर देखने को मिल रहा है। इसके साथ ही दुनियाभर के कच्चे तेल उत्पादकों पर भी इसका सीधा असर पड़ा है। जहां अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल का भाव गिरकर काफी नीचे पहुंच गया है। इस भारी गिरावट से अमेरिकी बेंचमार्क क्रूड वेस्ट टेक्सास इंटरमीडिएट (डब्ल्यूटीआई) ने बीते सोमवार को अब तक के इतिहास में कच्चे तेल की कीमतें 90 फ़ीसदी से भी अधिक गिरकर 0 डॉलर प्रति बैरल पहुंच गई है। कोरोना वायरस की वजह से दुनियाभर में कच्चे तेल की मांग में भारी कमी देखी जा रही है। बीते सोमवार को क्रूड ऑयल में 40 फीसद की गिरावट देखने को मिली और यह 10.9 डॉलर प्रति बैरल पर आ गया, जो पिछले 21 सालों के सबसे निचले स्तर पर पहुंच गया।
आपको बता दें क्रूड ऑयल में पिछले सप्ताह से ही लगातार गिरावट देखने को मिल रही है। इस पर व्यापारियों का कहना है कि तेल की कीमत में यह गिरावट चिंताजनक है क्योंकि मई डिलीवरी के अनुबंधों का निस्तारण सोमवार शाम तक कर दिया जाना है लेकिन कोई निवेशक तेल की वास्तविक डिलीवरी लेना नहीं चाह रहा है। इसके साथ ही तेल कंपनियों का ये भी कहना है कि इनके पास अब तेल स्टोर करने की भी व्यवस्था खत्म हो गई है और लॉकडाउन की वजह से तेल की खपत ना के बराबर है।
इसके साथ ही अमेरिका के पड़ोसी देश कनाडा में कुछ तेल उत्पादों की कीमत में भारी गिरावट देखने को मिली है क्योंकि कनाडा अमेरिका को 10 से 15 डॉलर के बीच एक बैरल देता है। ऐसे में अगर 10 डॉलर प्रति बैरल भी है तो इससे कनाडा को नुकसान हुआ है। इन कंपनियों के पास अब स्टोरेज कैपेसिटी खत्म हो गई है। समस्या ये भी है कि इनके प्रोडक्शन बंद करना भी मुश्किल है क्योंकि एक बार काम बंद होने के बाद दोबारा शुरू करना बहुत मुश्किल है क्योंकि इसमें पैसे और भी ज्यादा लगेंगे जो महंगा साबित हो सकता है।