निर्वाचन आयोग फरवरी में पांच राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनाव की तारीखों की घोषणा कर सकता है। सूत्रों के मुताबिक, आयोग मई में 10वीं और 12वीं की बोर्ड परीक्षाओं के चलते अप्रैल तक इन राज्यों में चुनाव कराना चाहता है। आयोग 15 जनवरी को अंतिम मतदाता सूची जारी करेगा और इसके बाद कभी भी तारीखों का एलान हो सकता है।
पश्चिम बंगाल, असम, केरल, तमिलनाडु और पुडुचेरी की विधानसभाओं का कार्यकाल मई-जून में पूरा होगा। लेकिन परीक्षाओं को देखते हुए आयोग समय से पहले चुनाव करा सकता है। चुनाव समय से पहले कराने की एक और वजह पश्चिम बंगाल और असम में चुनावी हिंसा का इतिहास भी है।
आयोग के सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, केंद्रीय बोर्ड ऑफ सेकेंडरी एजुकेशन द्वारा मई में कक्षा 10 और 12 की बोर्ड परीक्षा कराने की घोषणा के बाद अप्रैल और मई में परीक्षा के साथ चुनाव संभव नहीं है। इसलिए इन राज्यों में आयोग को समस्त चुनावी गतिविधियों को अप्रैल तक समाप्त करना होगा।
कांग्रेस के नए नेतृत्व का असमंजस अभी दूर भी नहीं हुआ है कि पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव की बढ़ी सरगर्मियों ने पार्टी के लिए एक और बड़ी चुनौती के रूप में दस्तक दे दी है। अधिकांश राज्यों की सत्ता से दूर हुई कांग्रेस की राष्ट्रीय राजनीति में मजबूत विपक्ष के रूप में फिर से वापसी के लिए अप्रैल-मई महीने में होने जा रहे पांच राज्यों के चुनाव बेहद अहम हो गए हैं। इसमें भी बंगाल के मुख्य चुनावी मुकाबले में कांग्रेस-वामपंथी गठबंधन की कमजोर स्थिति को देखते हुए पार्टी की आस केरल, असम और तमिलनाडु के चुनाव पर ज्यादा टिकी है।