सुप्रीम कोर्ट ने नये कृषि कानूनों पर सुनवाई के दौरान केंद्र को फटकार लगाते हुए कहा कि- क्या चल रहा है? राज्य आपके कानूनों के खिलाफ बगावत कर रहे हैं। आप कृषि कानूनों को होल्ड पर रख रहे हैं या नहीं? अगर आप नहीं रख रहे हैं तो हम रख देंगे। कोर्ट ने कहा कि हम इस मामले के समाधान के लिए विशेषज्ञों की कमेटी बनाना चाहते हैं, कमेटी की रिपोर्ट आने तक कृषि कानूनों को होल्ड पर रखें।
कोर्ट ने कहा कि नये कृषि कानूनों को लेकर जिस तरह से सरकार और किसानों के बीच बातचीत चल रही है, उससे हम बेहद निराश हैं। अगर कुछ गलत हुआ तो हममें से हर एक जिम्मेदार होगा। चीफ जस्टिस ने कहा कि हमारे हाथों से किसी का खून नहीं होना चाहिए। कोर्ट ने कहा कि हम फिलहाल इन कृषि कानूनों को निरस्त करने की बात नहीं कर रहे हैं, यह एक बहुत ही नाजुक स्थिति है। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने केंद्र सरकार से कहा- हमें नहीं पता कि आप समाधान का हिस्सा हैं या समस्या का। हमारे पास अबतक एक भी ऐसी याचिका दाखिल नहीं की गयी जिसमें यह कहा गया हो कि ये तीन कृषि कानून किसानों के लिए फायदेमंद हैं।
कोर्ट ने कहा हम यह चाहते हैं कि समस्या का समाधान बातचीत से हो, लेकिन ऐसा होता नहीं दिख रहा है। कोर्ट ने कृषि कानूनों को लेकर समिति की आवश्यकता को दोहराया और कहा कि अगर समिति ने सुझाव दिया तो, वह इसके क्रियान्वयन पर रोक लगा देगा।
कोर्ट ने कहा कि हम किसी को प्रदर्शन करने से नहीं रोक सकते। हम किसी संगठन के प्रदर्शन के खिलाफ आदेश नहीं देंगे। कोर्ट ने प्रदर्शन कर रहे संगठनों से पूछा कि ठंड में बुजुर्ग और महिलाएं प्रदर्शन का हिस्सा क्यों हैं? सुप्रीम कोर्ट ने कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे किसान संगठनों से कहा, आपको भरोसा हो या नहीं, हम भारत की शीर्ष अदालत हैं, हम अपना काम करेंगे।