टॉयलेट एक प्रेम कथा, फिल्म तो देखी ही होगी आपने, जहाँ फिल्म कि हीरोइन घर में शौचालय न होने कि वजह से ससुराल छोड़ कर चली जाती है। अब असल जिंदगी में भी कुछ ऐसा ही निडर फैसला लिया है कुशीनगर कि महिलाओं ने। यहाँ भी आधी आबादी ने पुरुष प्रधान और भ्र्स्टाचार में संलिप्त तंत्र को करारा तमाचा मारा है।
गांव हो या शहर, सरकार ने शौचालय बनवाने का दावा किया है। लेकिन, जमीनी हकीकत इससे परे है। कुशीनगर जिले के पडरौना ब्लॉक के जगदीपुर गांव के भरपटिया टोला की 16 बहुएं एक माह के अंदर ससुराल छोड़कर मायके चली गईं। नाराजगी की वजह बनी शौचालय का न होना है। उन सबका कहना है कि जब तक शौचालय नहीं बन जाएगा, वे ससुराल में कदम नहीं रखेंगी।
इन महिलाओं को विकट से विकट मौसम में भी शौच के लिए बाहर जाना पड़ता था। इस परेशानी को पहले ससुरालवालों को बताया। बात नहीं बनी तो मायके चली गईं। मामले की जानकारी मिलने पर जिला पंचायत राज अधिकारी गांव पहुंचे। उन्होंने लोगों से जानकारी लेकर और शौचालय अब तक क्यों नहीं बना, इसकी पड़ताल शुरू कर दी।
इन बहादुर महिलाओं के फैसले पर परिवार वाले ही नहीं, बल्कि गांव वाले भी हैरान हैं। काफी मनाने के बाद भी महिलाओं ने फैसला नहीं बदला और ससुराल छोड़ दिया। बताया जा रहा है कि गांव की बहुओं ने शादी से पहले ही यह शर्त रखी थी कि ससुराल में शौचालय बनने के बाद ही वहां जाएंगी।
ससुराल के लोगों ने वादा भी किया था कि शादी के तुरंत बाद शौचालय बनवा लेंगे। लेकिन, कई महीने बीतने के बाद भी शौचालय नहीं बनने से उन्हें बरसात के मौसम में शौच के लिए बाहर जाना पड़ता था। इन्हीं दिक्कतों के कारण महिलाओं ने अपना ससुराल छोड़ने का फैसला कर लिया और अपने मायके चली गईं। इन सभी की 2 साल के भीतर शादी हुई है।
ग्राम प्रधान राम नरेश यादव ने अपनी सफाई में कहा कि सूची में नाम न होने के कारण कुछ परिवारों का शौचालय नहीं बना है। कुछ महिलाएं अपने मायके गई हैं। जिला पंचायत राज अधिकारी आरके द्विवेदी ने गांव पहुंचकर जिम्मेदारों के खिलाफ कार्रवाई करने का आश्वासन दिया है और गांव में समुदायिक शौचालय का निर्माण करने का आश्वासन भी दिया। उन्होंने कहा कि शौचालय न होने की वजह से बहुओं का ससुराल छोड़कर मायके जाना ठीक नहीं है। जिनका नाम सूची में नहीं है, उनके लिए गांव में सामुदायिक शौचालय बनेगा।