JNU के पूर्व छात्र संघ अध्यक्ष कन्हैया कुमार बिहार में जन गण मन यात्रा कर के वापस पटना लौटे हैं। इस दौरान उन्होंने Patna में शनिवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस की और बताया कि बिहार के सभी जिलों में घूमने का असली मकसद क्या था। कन्हैया कुमार ने कहा,” Patna के गांधी मैदान में 27 फरवरी को देश बचाओ नागरिकता बचाओ और नागरिकता बचाओ संविधान बचाओ को लेकर जो रैली होने वाली है उसको लेकर हमारी तैयारी है। यात्रा का कोई चुनावी उद्देश्य नहीं है। चुनाव को ध्यान में रखकर इस यात्रा को आरंभ नहीं किया गया है। ये जन गण मन यात्रा छोटी बड़ी कठिनाइयों को पार करते हुए पटना तक पहुंच चुकी है। इसके अलावा 27 फरवरी को सुबह 10 बजे पटना के ऐतिहासिक गांधी मैदान में नागरिकता बचाओ देश बचाओ रैली होगी।”
कन्हैया कुमार ने कहा, ” एनआरसी और सीएए की लड़ाई अकेले नहीं लड़ी जा सकती है। हमने रैली के दौरान देखा कि बिहार में ही छोटी-छोटी लड़ाइयां चल रही हैं। Patna में दिनदहाड़े एक दारोगा ने अभ्यर्थियों पर लाठीचार्ज किया। जब हम अलग-अलग जिलों में गए तो यह देखा कि 50 फीसदी आबादी गांव में बूढ़े हैं, बच्चे है, महिलाएं हैं। जो जवान पढ़ लिख रहे हैं रोजगार उनके सामने बहुत बड़ा सवाल है। इसलिए हम लोग जन गण मन यात्रा के दौरान ही ये जान पाए कि बिहार में रोजगार चाहिए NPR नहीं चाहिए।”
कन्हैया कुमार ने आगे कहा,”अभी आपने देखा होगा कि आईआईएमसी जो पत्रकारिता का महत्वपूर्ण संस्थान है वहां स्टूडेंट भूख हड़ताल पर बैठे हुए थे। उनकी फीस बढ़ा दी गई और लड़ाई के बाद वो फीस वृद्धि वापस ली गई। इन तमाम चीजों से लेकर एक बेहतर बिहार और एक बेहतर बिहार से एक बेहतर देश का निर्माण कैसे हो सकता है ये जिम्मेदारी हमने अपने कंधे पर उठाई है।”
कन्हैया कुमार ने कहा,”एक तो लोगों को रोजगार नहीं मिल रहा है। शाहीन बाग बना है तो कोई बेरोजगार बाग नहीं बनना चाहिए? ये जो समान काम का समान वेतन है क्या इसको संविधान बचाने की लड़ाई में नहीं शामिल करना चाहिए? बिहार से जो लोग ताल्लुक रखते हैं जिनका जन्म बिहार में हुआ है बिहार के लिए अच्छा कुछ करना चाहते हैं तो मेरी शुभकामनाएं हैं लेकिन अगर प्रशांत किशोर की बात है तो मुझे कोई इंविटेशन नहीं मिला और इस संबंध में हमारी कोई बातचीत नहीं हुई है।”
कन्हैया कुमार ने आगे कहा,” मोदी दुनिया के लोकतंत्र के सबसे बड़े प्रधानमंत्री हैं। तो यह बड़े लोगों की बड़ी बात है। हम लोग साधारण लोग हैं। हम यही देख पा रहे हैं कि मोदी जब लिट्टी चोखा खा रहे थे उस वक्त दरोगा अभ्यर्थियों को पीट रहा था तो लिट्टी चोखा खाएं, लिट्टी चोखा खाने से बिहारियों को धोखा दे देंगे इसकी संभावना नहीं है।