चुनावी महाभारत में एक-दूसरे को पछाड़ने की तैयारी में प्रत्याशी लगे हुए हैं। वहीं, मतदाता खामोशी से चुनावी समर का आनंद उठा रहे हैं। ऐसे में जिले की पांचों विधानसभा सीटों पर रोचक मुकाबले की पृष्ठभूमि तैयार हो रही है, जिसमें जाति, धर्म के समीकरण का कितना असर हुआ है। इसकी सही तस्वीर दस मार्च को मतगणना के दिन ही स्पष्ट होगी।
प्रत्याशियों ने मेहनत कर मतदाताओं को अपने पक्ष में करने के लिए दिन रात एक किए हुए हैं। लेकिन, क्षेत्र में भ्रमण के दौरान दिख रही वोटरों की खामोशी से प्रत्याशियों में बेचैनी बढ़ रही है और यह उनके लिए सिर दर्द बना हुआ है। फिर भी प्रत्याशी मतदाताओं तक अपना संदेश पहुंचाने के लिए तरह-तरह के जतन कर रहे हैं। कोई अपने समर्थकों के माध्यम से मतदाताओं से संपर्क बना रहा है। तो कोई सोशल मीडिया के माध्यम से वोटरों तक अपना संदेश पहुंचा कर समर्थन मांग रहा है। हालांकि, इस बार पहले जैसा चुनावी शोरगुल नहीं दिख रहा है। ना पहले की तरह वाहनों पर लगे लाउडस्पीकर चीखते हुए नजर आ रहे। न ही प्रत्याशियों का प्रचार करते कार्यकर्ताओं का हुजूम दिख रहा है। गांव देहात में भी अब पहले की तरह चुनावी चौपाल सजी नजर नहीं आ रही।