यूपी विधानसभा में पहले दिन इस पोस्‍टर ने करा दी समाजवादी पार्टी की किरकिरी! जानें पूरा मामला

उत्तर प्रदेश की 18वीं विधानसभा का पहला सत्र सोमवार को विपक्ष के जोरदार हंगामे के बीच शुरू हुआ. वहीं, शोरगुल के बीच राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने सदन में अपना अभिभाषण पढ़ा. हालांकि राज्‍यपाल का अभिभाषण शुरू होने से पहले ही समाजवादी पार्टी के विधायक बैनर और पोस्टर लेकर सदन के बीचों-बीच आ गए और नारेबाजी करने लगे. इस दौरान सपा सदस्यों ने ‘गवर्नर गो बैक’ के नारे लगाए. इस बीच सपा के सदस्‍य का पोस्‍टर चर्चा का कारण बन गया है. यही नहीं, भाजपा ने भी इस पर चुटकी ली है. बता दें कि विपक्ष के हंगामे के बाद विधानसभा की कार्यवाही कल 11 बजे तक के लिए स्थगित हो गई है.

यूपी भाजपा के उपाध्‍यक्ष और एमएलसी विजय बहादुर पाठक ने एक फोटो ट्वीट करते समाजवादी पार्टी पर तंज करते हुए लिखा, ‘जब एसी कमरों में बैठकर राजनीति करनी हो और मुद्दों का पता ना हो तो यही हाल होता है. अब बुलफाइट की तस्वीर दिखाकर सपाई योगी सरकार से कार्रवाई की मांग कर हैं.’ दरअसल सपा विधायकों ने सांड के हमलों में घायल तस्वीरों को विधानसभा में विरोध करते हुए दिखाया था.

सपा, आरएलडी, बसपा और कांग्रेस ने किया विरोध
राज्‍यपाल आनंदीबेन पटेल ने एक घंटे तक पढ़े गए अभिभाषण में राज्य सरकार की विभिन्न उपलब्धियों का जिक्र किया. इस दौरान सपा, राष्ट्रीय लोकदल (रालोद), कांग्रेस और बहुजन समाज पार्टी के सदस्य सदन में राज्यपाल के अभिभाषण का विरोध कर रहे थे, लेकिन सपा की सहयोगी सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के सदस्यों ने इसका विरोध नहीं किया. इस बारे में पूछे जाने पर सुभासपा नेता ओमप्रकाश राजभर ने कहा कि पहली बात तो यह है कि राज्यपाल महोदया महिला हैं. दूसरी बात यह है कि जो पुरानी परंपरा है, सब बदल रही है तो राज्यपाल के विरोध की यह पुरानी परंपरा भी बदलनी चाहिए. हमारी पार्टी विरोध जरूरी नहीं समझती, इसलिए विरोध नहीं किया.

सपा द्वारा विरोध का औचित्य पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि सबकी पार्टी के हम मालिक तो हैं नहीं, हम तो अपनी पार्टी के मालिक हैं. उत्तर प्रदेश में सपा के साथ मिलकर विधानसभा चुनाव लड़ने वाली सुभासपा के नेता से जब सवाल किया गया कि कहीं आप दोनों के रास्ते जुदा तो नहीं हो रहे हैं तो उन्होंने दावा किया कि इसका सवाल ही नहीं पैदा होता है.

शिवपाल और अब्‍दुल्‍ला ने नहीं किया विरोध
रामपुर विधायक आजम खान की सीट सदन में नेता प्रतिपक्ष अखिलेश यादव के बगल में निर्धारित की गई है. वह दसवीं बार विधानसभा सदस्य चुने गए हैं. आजम ने आज विधायक पद की शपथ तो ली, लेकिन सत्र में शामिल नहीं हुए. इस दौरान उनके पुत्र अब्दुल्ला आजम जरूर सदन में आए, लेकिन उन्होंने सपा के अन्य सदस्यों की तरह विरोध नहीं किया. वह पिछली कतार में अपनी सीट पर बैठे रहे. वहीं, सपा के चिह्न पर चुनाव जीतने वाले प्रगतिशील समाजवादी पार्टी (लोहिया) के अध्यक्ष शिवपाल सिंह यादव भी अखिलेश से कुछ दूर निर्धारित अपनी सीट पर बैठे रहे, लेकिन उन्होंने भी राज्यपाल के अभिभाषण का विरोध नहीं किया. इसके अलावा सपा के वरिष्ठ सदस्य ओमप्रकाश सिंह भी अपनी सीट पर ही बैठे देखे गए. जबकि पार्टी के लगभग सभी सदस्य अपनी सीट छोड़कर लगातार नारेबाजी करते रहे.

इस बात को लेकर सपा ने किया विरोध
राज्यपाल के अभिभाषण के दौरान विपक्षी सदस्य हाथों में तख्तियां और बैनर थामे हुए थे, जिन पर पुरानी पेंशन की बहाली, कानून-व्यवस्था व छुट्टा पशुओं की समस्या समेत विभिन्न मुद्दों का जिक्र था. सपा सदस्य ‘कानून-व्यवस्था ध्वस्त है, योगी सरकार मस्त है’, ‘जब से भाजपा आई है, महंगाई लाई है’ जैसे नारे लगाते हुए लगातार अभिभाषण का विरोध कर रहे थे. पार्टी की महिला सदस्यों ने सरकार विरोधी नारों वाली जैकेट पहन रखी थी.

उधर, सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सदस्य भगवा टोपी लगाकर आए थे और अभिभाषण के समर्थन में मेजें थपथपाने से लेकर तालियां बजा रहे थे. यह राज्य विधानमंडल का बजट सत्र भी है. इसमें आगामी 26 मई को बजट पेश किए जाने की संभावना है. उल्लेखनीय है कि 1985 में कांग्रेस पार्टी की लगातार दूसरी बार पूर्ण बहुमत की सरकार बनी थी. उसके बाद किसी भी दल को लगातार दो बार पूर्ण बहुमत की सरकार बनाने का अवसर नहीं मिला था, लेकिन योगी सरकार ने ये कर दिखाया है.

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