लखनऊ- सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार से कहा है कि वह सुनिश्चित करे कि राज्य में ऐसी घटना फिर से न हो। चीफ जस्टिस की अध्यक्षता वाली बेंच ने जांच समिति को भी अप्रूवल दिया।
गैंगस्टर Vikas Dubey के एनकाउंटर को लेकर बुधवार को Supreme Court में सुनवाई हुई। इस दौरान कोर्ट ने यूपी सरकार से कहा है कि वह सुनिश्चित करे कि राज्य में ऐसी घटना फिर से न हो। चीफ जस्टिस की अध्यक्षता वाली बेंच ने जांच समिति को भी अप्रूवल दिया। विकास दुबे के Encounter की जांच करने वाली समिति में रिटायर्ड जस्टिस बीएस चौहान और यूपी के पूर्व DGP केएल गुप्ता को शामिल किया गया है।
जांच कमेटी को दो महीने में रिपोर्ट सौंपनी होगी। Supreme Court ने जांच कमीशन को एक हफ्ते में गठित करने को कहा है। सचिव और अन्य अधिकारी केंद्र सरकार मुहैया कराएगी। दो महीने में आयोग अपनी रिपोर्ट दाखिल करेगा। आयोग हर पहलू पर गंभीरता से जांच करेगा।
इससे पहले यूपी सरकार ने अपने हलफनामे में कहा कि जांच समिति में जस्टिस बीएस चौहान और पूर्व DGP केएल गुप्ता को शामिल किया जाएगा। जस्टिस चौहान ही समिति की अध्यक्षता भी करेंगे। Supreme Court ने इस जांच समिति को दो महीने में जांच पूरी करने का आदेश दिया है।
सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के वकील घनश्याम उपाध्याय ने राज्य के अधिकारियों की भूमिका पर सवाल उठाए। वकील ने कहा कि जस्टिस चौहान का नाम क्यों सुझाया गया है। हमने 12 जजों के नाम सुझाए थे। इस पर सीजेआई ने कहा कि हम जस्टिस की पसंद खोजने के लिए उन्हें दोष नहीं दे सकते।
याचिकाकर्ता के वकील घनश्याम उपाध्याय ने कहा राज्य के अधिकारियों को कमेटी का हिस्सा नहीं होना चाहिए। समिति में केवल बाहर के लोग हों। इस पर सीजेआई ने कहा कि हैदराबाद मामले में यही समस्या थी, जो हम चाहते थे कि आयोग दिल्ली में बैठे, लेकिन हमने पाया कि सारे सबूत तेलंगाना में हैं। जब यूपी में सबूत हैं तो आयोग को दिल्ली में क्यों बैठना चाहिए?
सुनवाई के दौरान Supreme Court ने यूपी सरकार से कहा है कि वह इस मामले से जुड़ी जांच को अगले एक हफ्ते में शुरू करें। दो महीनों के भीतर इसकी रिपोर्ट सौंपी जाए। कोर्ट ने यूपी सरकार से ये भी कहा कि वह सुनिश्चित करे कि इस तरह की कोई भी घटना भविष्य में न हो।