Electricity Privatization Postponed In Uttar Pradesh

यूपी सरकार ने निजीकरण को 15 जनवरी तक टाला- कर्मचारी हड़ताल खत्म कर काम पर लौटे

बिजली कर्मचारियों की हड़ताल से यूपी के तमाम शहरों में हाहाकार मच गया। कार्य बहिष्‍कार के दूसरे दिन बद से बदतर हुए हालात के मद्देनज़र यूपी सरकार ने निजीकरण का फैसला फिलहाल 3 महीने के लिए टाल दिया है। इसके साथ ही कर्मचारियों ने अपनी हड़ताल खत्‍‍म कर दी। कहा जा रहा है कि अब इन 3 महीनों कोई न कोई समाधान खोज लिया जाएगा।

बताया जा रहा है कि सरकार और बिजली कर्मचारी संयुक्‍त परिषद के बीच 5 बिंदुओं पर सहमति बनी है। तय हुआ है कि फिलहाल बिजली विभाग का निजीकरण नहीं होगा। यदि कभी निजीकरण हुआ तो पहले बिजली विभाग के इंजीनियरों और कर्मचारियों की सहमति ली जाएगी। इसके अलावा अगले 15 जनवरी 2021 तक लगातार समीक्षा होगी। इसके साथ ही विभाग में भ्रष्‍टाचार खत्‍म करने, राजस्‍व वसूली बढ़ाने और बिलिंग सिस्‍टम को दुरुस्‍त करने में भी बिजली कर्मचारी संयुक्‍त परिषद अपनी भूमिका निभाएगा। इस बिंदुओं पर सहमति बनने के बाद बिजली कर्मचारी संयुक्‍त परिषद ने हड़ताल खत्‍म की घोषणा की। इसके बाद सभी कर्मचारी काम पर लौट गए।

निजीकरण के खिलाफ बिजली कर्मचारियों द्वारा कार्य बहिष्‍कार का आज दूसरा दिन था। बिजली कर्मचारियों ने सरकार को अनिश्चितकालीन हड़ताल और जेल भरो आंदोलन की चेतावनी भी दी थी। बताया जा रहा है कि सोमवार को ही ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा की ओर से समझौते का प्रस्ताव रखा गया था लेकिन यूपीपीसीएल के चेयरमैन ने समझौता पत्र पर हस्ताक्षर इनकार कर दिया था।

निजीकरण के फैसले का विरोध कर रहे कर्मचारियों ने सरकार से कहा था कि अगर उनकी मांगे न मानी गईं तो वे अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले जाएंगे। कर्मचारियों का आंदोलन जैसे जैसे आगे बढ़ता जा रहा था, आम जनता की मुश्किलें बढ़ती जा रही थीं। माना जा रहा है कि सरकार ने इन सभी बातों को ध्यान में रखते हुये ये फैसला लिया है।

बिजली कर्मचारियों की हड़ताल से उत्‍तर प्रदेश के तमाम शहरों में हाहाहार मच गया था। हड़ताल वापस होने की सूचना ने उन्‍हें बड़ी राहत दी है। बिजलीकर्मियों के कार्य बहिष्कार के कारण सोमवार को डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्या, ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा सहित 3 दर्जन से अधिक मंत्रियों और करीब 150 विधायक, विधान परिषद सदस्यों के सरकारी आवास सहित राजधानी की बिजली सप्लाई ठप हो गई थी। VVPI इलाकों में बिजली गुल होने से पावर कॉरपोरेशन प्रबंधन से लेकर शासन स्तर तक हड़कंप मच गया, लेकिन बिजली अभियंताओं ने विद्युत आपूर्ति बहाल करने से मना कर दिया। आनन-फानन मध्यांचल निगम के एमडी सूर्यपाल गंगवार ने निदेशक (तकनीकी) सुधीर कुमार को कूपर रोड उपकेंद्र भेजा। करीब दो घंटे की कड़ी मशक्कत के बाद वैकल्पिक स्त्रोत से बिजली सप्लाई बहाल हुई।

लेसा के राजभवन डिवीजन के अंतर्गत कूपर रोड उपकेंद्र में सुबह करीब 11 बजे बिजली सप्लाई ठप हो गई। इससे विक्रमादित्य मार्ग, माल एवेन्यू, गुलिस्तां कॉलोनी, महिला विधायक आवास, पीडब्ल्यूडी कॉलोनी सहित कई VIP इलाकों की बिजली सप्लाई ठप हो गई। इससे डिप्टी CM केशव प्रसाद मौर्या, ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा, स्वामी प्रसाद मौर्या, मोहसिन रजा, मुकुट बिहारी वर्मा, अनिल राजभर सहित तीन दर्जन से अधिक मंत्रियों के सरकारी आवास की बिजली गुल हो गई। इसके अलावा 150 से अधिक विधायक, विधान परिषद सदस्य, पूर्व मंत्री, न्यायाधीश व राज्य सरकार के वरिष्ठ अधिकारियों को भी बगैर बिजली के रहना पड़ा। साथ ही मुख्यमंत्री कंट्रोल रूम, समाजवादी पार्टी कार्यालय, कांग्रेस मुख्यालय, वीआईपी गेस्ट हाउस में बिजली सप्लाई न होने से काफी दिक्कत हुई।

बिजली गुल होते ही मंत्रियों और विधायक आवास से उपकेंद्र पर फोन आने लगे, लेकिन किसी कर्मचारी ने नहीं उठाया, इससे परेशान लोगों ने अवर अभियंता, SDO और अधिशासी अभियंता से सम्पर्क साधा, लेकिन सभी ने कार्य बहिष्कार का हवाला देकर बिजली फाल्ट ठीक करने से मना कर दिया। इससे पावर कॉरपोरेशन प्रबंधन में हड़कंप मच गया। आनन-फानन में मध्यांचल निगम के निदेशक (तकनीकी) सुधीर कुमार उपकेंद्र पहुंचे। जिसके बाद उन्होंने करीब दो घंटे की मशक्कत के बाद बिजली सप्लाई बहाल की। वहीं गोमतीनगर, इंदिरानगर, विकासनगर, आलमबाग, जानकीपुरम, फैजुल्लागंज सहित राजधानी के कई इलाकों में बिजली आपूर्ति बाधित रही।

गोमतीनगर ट्रांसमिशन से कूपर रोड उपकेंद्र को आने वाली विद्युत लाइन ब्रेकडाउन हो गई थी। इससे कई मंत्रियों, विधायकों सहित कई जनप्रतिनिधियों की बिजली सप्लाई बाधित हुई थी। जिसके बाद निदेशक को उपकेंद्र भेजकर वैकल्पिक स्त्रोत से बिजली सप्लाई चालू कराई।

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