राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) की कोर्ट ने टेरर फंडिंग के दोषी जम्मू कश्मीर लिबरेशन फ्रंट (जेकेएलएफ) के प्रमुख यासीन मलिक को उम्रकैद की सजा सुनाई है. यासीन मलिक को दो अलग-अलग मामलों में उम्रकैद की सजा सुनाई गई है. इसके अलावा 10 अन्य मामलों में 10 साल के कठोरतम कारावास की सजा सुनाई गई है. कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए उनपर 10 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया है.
यासीन मलिक ने पाकिस्तान में आतंकियों के साथ प्रशिक्षण लिया था. इसके अलावा कश्मीर में अलगाववादियों का प्रमुख चेहरा भी बनकर उभरा था. यासीन मलिक पिछले तीन दशकों में सीमा से सटे अशांत क्षेत्रों में कई तरह के कारणों से सुर्खियों में बना रहा.
पाकिस्तानी कलाकार से शादी
एनआईए कोर्ट से उम्र कैद की सजा पाने वाले यासीन मलिक की उम्र करीब 56 साल है. वह साल 1990 के दौर में आतंकवाद की शुरुआत के पहले अपने छात्र जीवन के समय से ही जेल आता-जाता रहा.
अपनी रिहाई के बाद साल 1994 में हिंसा का रास्ता छोड़कर राजनीति में आने वाले मलिक ने गांधीवादी तरीके से विरोध करने की घोषणा की थी और उसे अलगाववादी खेमे में एक उदारवादी आवाज के तौर पर देखा जाता था. यासीन मलिक ने पाकिस्तानी कलाकार से शादी की है जिससे एक 10 साल की बेटी भी है.
2019 में हुआ था गिरफ्तार
एनआईए ने मलिक को 2019 की शुरुआत में गिरफ्तार किया था. मलिक पर साल 2017 में दर्ज आतंक के वित्तपोषण संबंधी मामले में उसकी गिरफ्तारी हुई थी.
तीन अप्रैल 1966 को यासीन मलिक का जन्म श्रीनगर स्थित मैसूमा इलाके में हुआ था. मलिक वर्ष 1989 में तत्कालीन गृह मंत्री मुफ्ती मोहम्मद सईद की बेटी रुबैया सईद के अपहरण मामले में भी सुनवाई का सामना कर रहा है.
ताला पार्टी का किया गठन
इसके अलावा, वर्ष 1990 में जेकेएलएफ आतंकवादियों द्वारा श्रीनगर में वायुसेना कर्मियों पर हमले का मामला भी चल रहा है. इस हमले में चार लोगों की मौत हो गई थी और कई घायल हुए थे.
मलिक ने ताला पार्टी का गठन करने के बाद 1980 के दशक में बहुत कम उम्र में ही राष्ट्र-विरोधी गतिविधियों की शुरुआत की. यह पार्टी श्रीनगर के शेर-ए-कश्मीर स्टेडियम में भारत और वेस्टइंडीज के बीच 1983 के क्रिकेट मैच को बाधित करने के प्रयास में शामिल थी. पार्टी ने 11 फरवरी 1984 को तिहाड़ जेल में जेकेएलएफ संस्थापक मोहम्मद मकबूल भट को फांसी देने के खिलाफ विरोध-प्रदर्शन किया था.