Ravidas Jayanti 2022: 16 फरवरी को संत रविदास जयंती (Ravidas Jayanti) है। इस दिन महान कवि, संत और भक्त रविदास जी (Ravidas Ji) का जन्म हुआ था। इनका संबंध चमार से जाति था। हालांकि, रैदास जी के जीवन पर जाति का कोई प्रभाव नहीं पड़ा। उन्होंने जातिवाद से ऊपर उठकर कार्य किया। संत रविदास जी (Ravidas Ji) एक दार्शनिक भी थे। उन्होंने लोगों को भक्ति मार्ग पर चलकर लोगों को ईश्वर को प्राप्त करने की सीख दी। उनकी रचना में प्रभु के प्रति प्यार दिखता है। आज भी उनके वचन, दोहे और रचनाएं प्रेरणादायक हैं। खासकर युवाओं को जीने की सीख देते हैं। आइए, संत रविदास जी (Ravidas Ji) के अनमोल वचन और दोहे को जानते हैं-
1.रविदास जन्म के कारनै, होत न कोउ नीच,
नर कूँ नीच करि डारि है, ओछे करम की कीच
-कोई भी व्यक्ति जन्म के कारण नीच या छोटा नहीं होता है। व्यक्ति के कर्म उसे नीच बनाते हैं। अत सदैव कर्मों पर ध्यान दें। कर्म सदैव ऊंचें होने चाहिए।
2.-जिस तरह से तेज हवा के चलते सागर में बड़ी लहरें उठती हैं और फिर से सागर में ही समा जाती हैं। सागर से अलग उनका कोई अस्तित्व नहीं होता है। इसी तरह से परमात्मा के बिना मानव का भी कोई अस्तित्व नहीं है।
3.करम बंधन में बन्ध रहियो, फल की ना तज्जियो आस
कर्म मानुष का धर्म है, सत् भाखै रविदास
हमेशा कर्म करते रहो लेकिन उससे मिलने वाले फल की आशा नहीं करनी चाहिए। क्योंकि कर्म हमारा धर्म है और फल हमारा सौभाग्य।
4.किसी की पूजा इसलिए नहीं करनी चाहिए क्योंकि वो किसी पूजनीय पद पर बैठा है। अगर व्यक्ति में योग्य गुण नहीं हैं तो उसकी पूजा न करें। लेकिन अगर कोई व्यक्ति ऊंचे पद पर नहीं बैठा है लेकिन उसमें योग्य गुण हैं तो ऐसे व्यक्ति की पूजा करनी चाहिए।
5.मन चंगा तो कठौती में गंगा
अगर आपका हृदय शुद्ध है, तो नहाने के लिए बाल्टी का जल पवित्र है। पवित्र स्नान करने के लिए आपको कहीं जाने की आवश्यकता नहीं है। यह मुहावरा आज भी लोगों के जुबान पर रहता है।