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सचिन पायलट CM बनने वाले हैं? सोनिया गांधी से मुलाकात में आखिर क्या बात हुई, जानें

राजस्थान में पार्टी से विद्रोह के दो साल बाद एक बार फिर सचिन पायलट (Sachin Pilot) को लेकर सुगबुगाहट तेज हो गई है. दरअसल, राजस्थान काग्रेस के कद्दावर नेता सचिन पायलट ने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से मुलाकात की है. एएनआई की खबर के मुताबिक कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी (Soni Gandhi) से मुलाकात के बाद सचिन पायलट ने महत्वपूर्ण बात कही है. उन्होंने कहा, ‘राजस्थान ऐसा राज्य है जहां हर पांच साल के बाद सरकार बदल जाती है. लेकिन अगर कांग्रेस को आगामी चुनाव में सफलता हासिल करनी है तो मेरे विचार से हमें कुछ ऐसे अच्छे काम करने चाहिए जैसे हमने शुरुआत में किये थे. हमें चुनाव में कांग्रेस को जीत दिलाने के लिए इसी दिशा में जाने की जरूरत है.’

सीएम बनने की इच्छा
सचिन पायलट की बात से साफ है कि राजस्थान में गहलोत सरकार से वे खुश नहीं है और अपनी प्रभावी भूमिका के लिए दबाव की रणनीति अपना रहे हैं. राजस्थान का सीएम बनने की इच्छा रखने वाले सचिन पायलट और सोनिया गांधी की मुलाकात को विश्लेषक विशेष मान रहे हैं. एनडीटीवी की खबर के मुताबिक सचिन पायलट ने सोनिया गांधी से मुलाकात में भी राजस्थान का मुख्यमंत्री बनने की इच्छा व्यक्त की है. हालांकि सूत्रों के मुताबिक सोनिया गांधी के साथ बैठक में सचिन पायलट की राजस्थान कांग्रेस में आगामी भूमिका को लेकर चर्चा हुई है.

सचिन का साथ कांग्रेस के लिए जरूरी
राजस्थान में अगले साल चुनाव होने वाला है. एक तरफ राहुल गांधी के तीन प्रमुख निकटतम सहयोगी ज्योतिरादित्य सिंधिया, जितिन प्रसाद और आरपीएन सिंह कांग्रेस छोड़कर बीजेपी का दामन थाम चुके हैं तो राजस्थान में बगावत के बावजूद अब तक सचिन पायलट ने कांग्रेस का हाथ नहीं छोड़ा है. हालांकि बगावत के बाद सचिन पायलट को राजस्थान कांग्रेस के अध्यक्ष और राज्य के उप मुख्यमंत्री पद से हाथ धोना पड़ा था. इस स्थिति में कांग्रेस और राहुल गांधी के लिए सचिन पायलट बहुत ज्यादा महत्वपूर्ण है.

प्रभावी भूमिका को लेकर बात
सोनिया गांधी के साथ मुलाकात में किस एजेंडे पर बात हुई इसका ब्योरा सामने नहीं आया है लेकिन समझा जा रहा है कि सचिन पायलट को बड़ी भूमिका दी जा सकती है. अगले साल चुनाव के मद्देनजर उनकी बड़ी भूमिका तय है. हालांकि वह मुख्यमंत्री के पद से कम पर वे शायद ही मानेंगे. अगले महीने राजस्थान के उदयपुर में कांग्रेस का चिंतन शिविर भी है. ऐसे में सचिन पायलट की भूमिका जरूरी है.

गौरतलब है कि 2018 के चुनाव में कांग्रेस की जीत में सचिन पायलट की प्रमुख भूमिका थी. वे मुख्यमंत्री की दौड़ में भी सबसे आगे थे लेकिन अनुभवी अशोक गहलोत के सामने टिक नहीं पाए. उन्हें उप मुख्यमंत्री का पद दिया गया लेकिन अशोक गहलोत से उनकी बनी नहीं.

दो साल बाद वे बगावत पर उतर आए और 18 विधायकों के साथ दिल्ली में डेरा जमा दिया लेकिन इस बार भी उन्हें मुंह की खानी पड़ी और कांग्रेस अध्यक्ष और उप मुख्यमंत्री दोनों पदों से हाथ धोना पड़ा. 2020 के बाद वे एकदम बैकडोर में चले गए. कई बार कयास लगाए गए कि वे भी ज्योतिरादित्य सिंधिया की तरह बीजेपी में शामिल हो जाएंगे लेकिन उन्होंने इससे स्पष्ट इनकार किया. लेकिन अब उनकी प्रभावी भूमिका को लेकर सुगबुगुहाट तेज हो गई है.

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