राजनीतिक पार्टियों के चंदे में आई गिरावट, तगड़ा झटका टीएमसी को

चुनाव आयोग के आंकड़ों की मानें तो राजनीतिक दलों को मिलने वाले चंदे की दर में खासी गिरावट आई है. ये आंकड़े बताते हैं कि 8 राजनीतिक दलों को 20 हजार रुपए ये उससे ज्यादा का चंदा देने वालों की संख्या में 2020-21 में 41.5 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई है. हालांकि चंदा जुटाने में अभी भी भारतीय जनता पार्टी ही सबसे आगे बनी हुई है. बीजेपी को इस वित्तीय अवधि में 477.5 करोड़ रुपये बतौर चंदा मिले हैं. कांग्रेस को निजी और कॉरपोरेट घरानों और इलेक्टोरल बांड्स के जरिए कुल 74.5 करोड़ रुपये चंदा मिला है. आंकड़े बताते हैं कि वित्तीय वर्ष 2019-20 में कांग्रेस को कुल 139 करोड़ रुपये चंदा मिले था. इस लिहाज से देखें तो इस साल कांग्रेस को 46 प्रतिशत कम चंदा मिला है.

बीजेपी को भी झटका
हालांकि सिर्फ कांग्रेस को ही चंदे का घाटा नहीं हुआ है, बल्कि भारतीय जनता पार्टी को भी पिछले साल की तुलना में इस बार 39 प्रतिशत कम चंदा मिला है. 2019-20 में बीजेपी को रेकॉर्ड 785.7 करोड़ रुपये चंदा मिला था. आंकड़े बताते हैं कि ऐसा पहली बार है कि बीजेपी को डायरेक्ट और इलोक्टोरल बांड्स के जरिए कम चंदा मिला है. एक खास बात यह भी है कि बीजेपी को 2020-21 में कितनी आय हुई है अभी इसकी जानकारी नहीं मिल पाई है क्योंकि पार्टी की ऑडिट रिपोर्ट अभी सार्वजनिक नहीं हुई है. सीपीएम को छोड़ दें तो लगभग सभी राष्ट्रीय दलों की इनकम में गिरावट दर्ज की गई है.

एनसीपी, टीएमसी को नुकसान, सिर्फ सीपीआई को फायदा
एनसीपी के चंदे में भी कमी आई है. इसी अवधि में पार्टी को 26.2 करोड़ रुपये मिले जो पिछली बार के 59.9 की तुलना में 56 फीसदी कम है. सीपीएम को 19.7 करोड़ की तुलना में इस बार महज 12.8 करोड़ रुपये ही बतौर चंदा मिला. सीपीएम को भी 34 फीसद कम दान मिला. हालांकि सीपीआई एकमात्र ऐसी पार्टी है जिसे पिछली बार की तुलना में ज्यादा चंदा मिला है. पिछली बार 1.29 करोड़ की तुलना में इस बार सीपीआई को 1.49 करोड़ रुपये मिले हैं. इस तरह उसे 15.5 प्रतिशत ज्यादा पैसे मिले हैं. नेशनल पीपल्स पार्टी को 59.5 लाख रुपये मिले हैं जो पिछली बार के 1.76 करोड़ रुपये की तुलना में 66 प्रतिशत कम है. तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) को पिछली बार 8.08 करोड़ रुपये चंदा मिले थे. टीएमसी को इस बार महज 42.5 लाख रुपये बतौर चंदा मिले हैं. आंकड़ों की भाषा में देखें तो टीएमसी को सभी राष्ट्रीय दलों की तुलना में सबसे ज्यादा 94 फीसदी का झटका लगा है. बीएसपी ने हर बार की तरह इस बार भी 20 हजार या उससे ज्यादा चंदा पाने वालों की संख्या को जीरो दिखाया है.

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