crude oil

केवल रूस-यूक्रेन युद्ध ही नहीं, इस वजह से भी बढ़ रहे तेल के दाम; अभी और बिगड़ेंगे हालात?

यूक्रेन पर रूसी अटैक के बाद से पूरी दुनिया में तेल की कीमतों पर संशय बना हुआ है। आसमान छूती कच्चे तेल की कीमतों का असर आम आदमी की जेब पर भी पड़ने लगा है। ऐसे में यह जानना जरूरी हो जाता है कि क्या केवल रूस-यूक्रेन ही वैश्विक स्तर पर बढ़ती तेल की कीमतों के लिए जिम्मेदार हैं? यूक्रेन संकट के अलावा भी कारण हैं।

सऊदी तेल फैसिलिटी पर हमले और रूसी कच्चे तेल पर प्रतिबंध लगाने को लेकर यूरोपीय संघ की चर्चा ने तेल की कीमतों में उछाल ला दिया। शीर्ष तेल प्रोड्यूसर सऊदी अरब ने चेतावनी दी कि राज्य की तेल फैसिलिटी पर यमनी विद्रोहियों के हमले वैश्विक आपूर्ति के लिए एक “सीधा खतरा” पैदा कर रहे हैं। सऊदी का ये बयान तेल की कीमत बढ़ाने के लिए काफी था।

ब्रेंट नॉर्थ सी क्रूड 6.1 प्रतिशत बढ़कर 114.55 डॉलर प्रति बैरल हो गया, जिसमें डब्ल्यूटीआई 5.5 प्रतिशत बढ़कर 110.48 डॉलर हो गया है। सऊदी टिप्पणियों से पहले ही कॉमर्जबैंक के विश्लेषक कार्स्टन फ्रिट्च ने कहा, “ट्रेडिंग का नया सप्ताह शुरू होते ही तेल की कीमतें काफी बढ़ गई हैं।”

उन्होंने कहा, “तेल की कीमतों में उछाल का कारण यह खबर है कि यूरोपीय संघ रूस से तेल आयात पर प्रतिबंध लगाने पर विचार कर रहा है।” यूरोपीय संघ के विदेश मंत्री रूसी तेल पर प्रतिबंध लगाने के लिए दबाव डालने वाले देशों के साथ चर्चा करने के लिए जमा हुए। हालाँकि, जर्मनी रूसी गैस पर अपनी भारी निर्भरता को देखते हुए इस कदम के लिए अनिच्छुक है। इस बीच रूस के प्रवक्ता दिमित्री पेसकोव ने चेतावनी दी है कि उसके तेल पर प्रतिबंध “एक ऐसा निर्णय होगा जो सभी को प्रभावित करेगा।”

ड्रोन स्ट्राइक

यमनी विद्रोहियों द्वारा तेल की दिग्गज कंपनी सऊदी अरामको से संबंधित तेल शोधन संयत्रों पर हमला करने के बाद भी कच्चे तेल की कीमतों में उछल आ गया। हरग्रीव्स लैंसडाउन के वरिष्ठ निवेश और बाजार विश्लेषक सुसानाह स्ट्रीटर ने कहा, “जैसा कि यूक्रेन में युद्ध चल रहा है, ऐसे में एक और लंबा व पुराना संघर्ष है जो तेल की कीमत के आसपास घबराहट बढ़ा रहा है। ये है हूती विद्रोहियों की सऊदी अरब के साथ लड़ाई। ये विद्रोही एक के बाद एक कई रिफाइनरी पर हमला कर चुके हैं।”

उन्होंने कहा, “यह आधिकारिक तौर पर एक अस्थायी मामला है लेकिन फिर भी इसने आने वाले वर्षों में उत्पादन बढ़ाने के लिए सऊदी अरामको की प्रतिज्ञा को प्रभावित कर दिया है।” सप्ताहांत में यमन के ईरान समर्थित हूती विद्रोहियों द्वारा किए गए ड्रोन और मिसाइल हमलों में किसी के हताहत होने की सूचना नहीं है।

सऊदी ऊर्जा मंत्रालय ने कहा कि लाल सागर पर यानबू औद्योगिक शहर में YASREF रिफाइनरी पर ड्रोन हमले से “रिफाइनरी के उत्पादन में अस्थायी कमी आई, जिसकी भरपाई इन्वेंट्री से की जाएगी।”

यमन की सरकार का समर्थन करने वाले सऊदी के नेतृत्व वाले सैन्य गठबंधन ने कहा कि उसने जिजान और राज्य के अन्य क्षेत्रों में लॉन्च की गई बैलिस्टिक मिसाइलों और ड्रोन को रोक दिया और नष्ट कर दिया, जिससे कई साइटों को “क्षति” हुई।

इस बीच साऊदी ने एक चेतावनी जरूर दी है जो तेल की कीमतों को लेकर डर बढ़ा सकती है। सऊदी विदेश मंत्रालय ने कहा कि हूती हमलों के आलोक में तेल आपूर्ति में आई कमी के लिए सऊदी “कोई जिम्मेदारी नहीं लेगा”। सऊदी अरामको ने रविवार को तेल की बढ़ती कीमतों के कारण वार्षिक शुद्ध लाभ में 124 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की है। तेल की बढ़ती कीमत दुनिया भर में मुद्रास्फीति को बढ़ावा दे रही है। इसी के चलते केंद्रीय बैंकों को ब्याज दरें बढ़ाने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है जो विशेषज्ञों के अनुसार अर्थव्यवस्था की रिकवरी में बाधा बन सकती है।

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