नेपाल (Nepal) की राष्ट्रपति बिद्या देवी भंडारी (Bidhya Devi Bhandari) ने गुरुवार को उस संविधान संशोधन बिल को मंजूरी दे दी, जिसके जरिये नेपाल अपना नया नक्शा (Nepal Map) जारी कर रहा है। इस विवादित नक्शे में भारत के 3 क्षेत्रों को नेपाल अपना हिस्सा बता रहा है। बता दें कि भारत के कड़े विरोध के बावजूद नेपाल की संसद ने उस नए राजनीतिक नक्शे को अद्यतन करने के लिए संविधान में गुरुवार को संशोधन कर दिया, जिसमें रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण भारत के 3 क्षेत्रों को शामिल किया गया है।
भारत ने नेपाल के मानचित्र में बदलाव करने और कुछ भारतीय क्षेत्रों को उसमें शामिल करने से जुड़े संविधान संशोधन विधेयक को नेपाली संसद के निचले सदन में पारित किए जाने पर शनिवार को प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा था कि यह कृत्रिम विस्तार साक्ष्य एवं ऐतिहासिक तथ्यों पर आधारित नहीं है और यह मान्य नहीं है।
भारत ने नवंबर 2019 में एक नया नक्शा जारी किया था, जिसके करीब 6 महीने बाद नेपाल ने पिछले महीने देश का संशोधित राजनीतिक और प्रशासनिक नक्शा जारी कर रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण इन इलाकों पर अपना दावा बताया था। नेपाली संसद के ऊपरी सदन यानी नेशनल असेम्बली ने संविधान संशोधन विधेयक को सर्वसम्मति से पारित कर दिया। इसके बाद नेपाल के नक्शे को बदलने का रास्ता साफ हो गया।
नेपाली संसद के ऊपरी सदन में संविधान संशोधन विधेयक रविवार को पेश किया गया था। इससे एक दिन पहले निचले सदन से इसे सर्वसम्मति से पारित कर दिया था। ऊपरी सदन में मौजूद सभी 57 मौजूद सदस्यों ने विधेयक के समर्थन में मतदान किया। नेशनल असेम्बली के सभापति गणेश तिमिलसिना ने बताया कि सभी 57 सदस्यों ने विधेयक के समर्थन में मतदान किया।
नेपाल के संशोधित नक्शे में भारत की सीमा से लगे रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण लिपुलेख, कालापानी और लिम्पियाधुरा इलाकों पर दावा किया गया है। भारत और नेपाल के बीच रिश्तों में उस वक्त तनाव पैदा हो गया था, जब रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने 8 मई को उत्तराखंड में लिपुलेख दर्रे को धारचूला से जोड़ने वाली रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण 80 किलोमीटर लंबी सड़क का उद्घाटन किया था।