1962 के शहीदों की पत्नियों में गुस्सा, बोलीं-चीन को दिया जाए मुंहतोड़ जवाब

चीन से हुई हिंसक झड़प में 20 जवानों की शहादत से मध्य प्रदेश के चंबल की वीर नारियों (शहीदों की पत्नियों) में गुस्सा व्याप्त है। साल 1962 में चीन से युद्ध में शहीदों की वीर नारियों के जख्म फिर हरे हो गए। उनका कहना है चीन ने 1962 में भी देश के जवानों को धोखे से मारा था। इस बार भी हमारे देश के वीर जवानों से धोखा हुआ है। वीर नारियों का कहना है कि उम्र इजाजत नहीं देती, वरना वे अपने पति की तरह चीन से टकराने के लिए भी तैयार हैं। चीन को इस धोखे के लिए मुंहतोड़ जवाब दिया जाए। मालूम हो, 1962 में चीन से युद्ध में भिंड जिले के 18 जवान शहीद हुए थे। इनमें से 4 वीर नारियों ने अपने इरादे बताए।

21 अक्टूबर 1962 में शहीद जवान अतिबल सिंह कुशवाह की 80 वर्षीय पत्नी वीर नारी शांति देवी कहती हैं कि तब के युद्ध और इस बार में बड़ा फर्क है। उस समय हमारे जवानों के पास अच्छे हथियार नहीं थे, लेकिन अब अत्याधुनिक हथियार हैं। चीन को जवाब देना चाहिए। जवाब ऐसा हो कि जब तक दुनिया रहे, चीन हमारे देश की ओर आंख उठाकर देखने की जुर्रत न कर सके।

शहीद जवान सामंत सिंह की 82 वर्षीय पत्नी कमलादेवी कहती हैं कि चीन पहले भी धोखेबाज था। आज भी उसकी फितरत वैसे ही है। चीन से हुई हिंसक झड़प में 20 जवानों की शहादत ने पति की शहादत की याद ताजा करा दी। चीन को सबक सिखाने से वीरगति को प्राप्त हुए जवानों को सुकून मिलेगा।

शहीद जवान परमाल सिंह की 85 वर्षीय पत्नी प्रेमा देवी कहती हैं कि पति का आखिरी बार चेहरा देखना भी नसीब नहीं हो पाया था। सिर्फ उनकी शहादत की खबर आई थी। वीर नारी का कहना है चीन ने पहले युद्ध में गोला-बारूद इस्तेमाल किया था। इस बार धोखे से पत्थर-सरिया इस्तेमाल किया है। चीन को सबक सिखाना ही अंतिम उपाय है।

19 नवंबर 1962 को शहीद हुए जवान माखन सिंह भदौरिया की 85 वर्षीय पत्नी वीर नारी शांति भदौरिया कहती हैं कि चीन ऊंचाई पर है। इसलिए उसके पत्थर भी गोलियों का काम करते हैं, लेकिन हमारे देश के वीर जवानों के हौसले चीन की ऊंची चौकियों से ज्यादा बुलंद हैं। चीन को अब ऐसा सबक सिखाया जाए, जिससे उसके कदम दुनिया रहने तक हमारे देश की तरफ बढ़ ही ना पाएं।

21 अक्टूबर 1962 को भिंड जिले के रहने वाले 10 जवान शहीद हुए थे। इसी दिन किशूपुरा गांव निवासी हेम सिंह, जरसेना मेहगांव निवासी भगवान सिंह गुर्जर, खेराट अटेर निवासी बड़े सिंह, रौन निवासी रमेश सिंह, बिजौरा अटेर निवासी शमशेर सिंह, भारौली निवासी अतिबल सिंह, फूफ निवासी परमाल सिंह, जगनपुरा मिहोना निवासी सामंत सिंह, रानीपुरा अटेर निवासी रामकुमार सिंह, रानीपुरा अटेर निवासी चिमन सिंह वीरगति को प्राप्त हुए थे।

फिर 19 नवंबर 1962 को जिले के एक साथ 6 जवानों सहित कुल 18 जवान शहीद हुए थे। ये शहीद सालिमपुरा अटेर निवासी रामअवतार, नहारा निवासी माखन सिंह, बाराहेट लहार निवासी मान सिंह, नहारा अटेर निवासी मकरंद सिंह, निवसाई रौन निवासी ऊदल सिंह, आलमपुर लहार निवासी विजय सिंह, लहरौली भिंड निवासी महेंद्र पाल सिंह, सुंदरपुरा भिंड निवासी मुन्नालाल थे।

Leave a Comment

Your email address will not be published.

बिहार के इन 2 हजार लोगों का धर्म क्या है? विश्व का सबसे अमीर क्रिकेट बोर्ड कौन सा है? दंतेवाड़ा एक बार फिर नक्सली हमले से दहल उठा SATISH KAUSHIK PASSES AWAY: हंसाते हंसाते रुला गए सतीश, हृदयगति रुकने से हुआ निधन India beat new Zealand 3-0. भारत ने किया कीवियों का सूपड़ा साफ, बने नम्बर 1