शारदीय नवरात्रि की शुरुआत 17 अक्टूबर से हो चुकी है। आज इसका छठां दिन है, आज मां कात्यायनि की पूजा विधि-पूर्वक की जाती है। वैसे इस साल दुर्गा Ashtami-Navami और दशहरा की तारीख को लेकर सभी दुविधा में हैं। तो इस लेख में हम आपकी ये कन्फ्यूजन दूर कर देते हैं। बता दें कि अंग्रेजी कैलेंडर की तारीखों की तरह हिन्दी पंचांग का समय 24 घंटे के आधार पर नहीं होता है। ये उस से कम या ज्यादा हो सकता है। कई बार तो ऐसा भी होता है कि दो तिथियां एक ही दिन पड़ जाती हैं। जिससे कभी ऐसा भी होता है कि दो त्योहार एक ही दिन पड़ जाते हैं।
यही वजह है कि इस बार की नवरात्री की Ashtami-Navami और दशमी की तिथि को लेकर सभी परेशान हैं। बता दें कि ऋषिकेश पंचांग के अनुसार सप्तमी 23 अक्टूबर शुक्रवार को दिन के 12 बजकर 09 मिनट तक है। इसके बाद ही अष्टमी शुरू हो जाएगी। ये 24 अक्टूबर शनिवार को है। दिन में 11 बजकर 27 मिनट तक। इसके बाद नवमी तिथि शुरू हो जाएगी। जो की 25 अक्टूबर रविवार को दिन में 11 बजकर 14 तक होगी। नवमी के बाद दशमी तिथि शुरू हो जाएगी, जो अगले दिन 26 अक्टूबर सोमवार को दिन में 11:33 तक रहेगी। यही वजह है कि 25 अक्टूबर को ही विजयदशमी मनाया जाएगा। चलिए अब आपको कन्या पूजन के बारे में बताते हैं। आपको बता दें कि दुर्गा अष्टमी के दिन मां महागौरी और सिद्धिदात्री की पूजा करने का विधान है। इन दिन कन्याओं को घरों में बुलाकर भोजन कराया जाता है। जानते हैं Kanya Pujan के महत्व और Kanya Pujan करते समय किन बातों का आपको ख्याल रखना चाहिए।
कन्या पूजन का महत्व
शारदीय नवरात्रि की Ashtami-Navami के दिन माता महागौरी और सिद्धिदात्री की पूजा करने का विधान है। इस दिन कन्याओं को घर बुलाकर भोजन कराया जाता है। नवरात्रि में इस 9 कन्याओं को भोजन करया जाता है क्योंकि 9 कन्याओं को देवी दुर्गा के 9 स्वरुपों का प्रतीक माना जाता है। इन कन्याओं के साथ एक बालक को भी भोजन करवाया जाता है। बालक को बटुक भैरव का प्रतीक माना जाता है। मां की पूजा के साथ भैरव की भी पूजा की जाती है।
कन्या पूजन के समय निम्न बातों का रखें ध्यान-
– Kanya Pujan के साथ एक बालक को भी भोजन कराना जरुरी
होता है क्योंकि उन्हें बटुक भैरव का प्रतीक माना जाता है।
– कंजक पूजन में केवल 2 वर्ष से लेकर 10 वर्ष की आयु तक की कन्याओं की पूजा करें।
– Kanya Pujan के समय कन्याओं को साफ जगह पर बैठाएं और दूध, पानी से उनके पैर धोएं इसके पश्चात उनके पैर छूकर उनका आशीर्वाद लें।
– कन्याओं को भोजन में खीर, पूड़़ी, हलवा जरुर खिलाएं आप चाहे तो नमकीन में आलू या आलू चने की सब्जी भी खिला सकती हैं।
– कन्याओं को भोजन कराने के बाद दान में उन्हें लाल चुनरी फल खिलौने आदि दें। इसके बाद उनके चरण स्पर्श कीजिए। इतना करने के बाद सम्मान पूर्वक उनको घर से विदा करें। यदि आप ऐसा करेंगे तो इससे दुर्गा माता की कृपा आप पर बनी रहेगी।
शुभ मुहूर्त
24 अक्टूबर, 2020 को महानवमी मनाई जाएगी।
नवमी तिथि की शुरूआत – सुबह 06:58 से 24 अक्टूबर, 2020
नवमी तिथि समाप्ती– सुबह 07:41 से 25 अक्टूबर, 2020