बिहार सरकार के कई मंत्री अपने अधिकारियों और विभाग के कार्यो से खुश नहीं हैं और यही कारण है कि सभाओं के खुले मंच पर विभाग के क्रियाकलापों की जमकर पोल खोल रहे हैं. कृषि मंत्री सुधाकर सिंह ने सोमवार को कैमूर की एक सभा मे जमकर विभाग की खबर ली और सभी अधिकारियों को चोर बताते हुए खुद को चोरों का सरदार तक बता डाला था. वहीं, मंगलवार को सुधाकर सिंह ने एक कार्यक्रम में कृषि विभाग की योजनाओं और मुख्यमंत्री के ड्रीम प्रोजेक्ट कृषि रोड मैप पर ही सवाल उठा दिया.
सुधाकर सिंह ने कहा सरकार किसानों के हितों के लिए काम करेगी, लेकिन मक्का और चावल से इथेनॉल बनाने के केंद्र और बिहार सरकार की नीति ठीक नहीं है. इससे समाज और देश को नुकसान होगा. मंत्री ने पुराने कृषि रोड मैप पर भी सवाल खड़े किए और कहा पिछले रोड मैप से बिहार को कोई फायदा नहीं हुआ है. चौथे कृषि रोड मैप में हम कुछ बदलने का काम करेंगे. मंत्री ने कृषि के बाजारीकरण को भी अनुचित बताते हुए सवाल उठाया.
कृषि मंत्री ने मक्के से इथेनॉल को लेकर भी आपत्ति जताई. मंत्री ने साफ कहा कि हमको मंत्री पद से जाने का कोई गम नहीं है. हम संघर्ष के साथी हैं; इसलिए जिस तरह अभी तक कृषि को लेकर जो दावे हुए हैं वह सही नहीं हैं. अभी भी कृषि विभाग किसानों के लिए बीज तैयार करने के बजाय व्यापारी के लिए काम कर रहा है. कृषि मंत्री सुधाकर सिंह ने कहा बिहार में किसानों का भला नहीं हो रहा है और ये सही नहीं है. किसानों को अपने हक के लिए लड़ना पड़ता है और जिलाधिकारी उनके ज्ञापन तक को ठीक से नहीं देखते हैं.
बता दें कि बीते रविवार को कैमूर में सुधाकर सिंह कह दिया था कि कृषि विभाग के लोग चोर हैं और वो उन ‘चोरों के सरदार’ हैं. वे विभाग में फैले भ्रष्टाचार पर सवाल उठा रहे थे. इसी बात पर मंगलवार को हुई कैबिनेट की बैठक में सीएम नीतीश और सुधाकर सिंह के बीच तल्खी की बात सामने आई. सूत्रों के हवाले से खबर यही है कि इस दौरान कृषि मंत्री ने अपने इस्तीफे तक की धमकी दे दी थी और कैबिनेट मीटिंग छोड़कर बाहर निकल आए थे.