चीन (China) से तनाव के बीच अमेरिकी नौसेना, भारतीय नौसेना (Indian Navy) के साथ मिलकर युद्धाभ्यास कर सकती है। जानकारी के मुताबिक, अमेरिकी एयरक्राफ्ट कैरियर USS निमित्ज (USS Nimitz) इसमें शामिल हो सकता है। निमित्ज अभी हिंद महासागर में तैनात है और नेवी अंडमान और निकोबार द्वीप तट पर युद्धाभ्यास कर रही है।
एयरक्राफ्ट कैरियर निमित्ज USS थियोडोर रुजवेल्ड के साथ साउथ चाइना सी में वॉरगेम्स का हिस्सा था। निमित्ज पहले से ही मलक्का स्ट्रेट के रास्ते हिंद महासागर में मौजूद है, ये स्ट्रेट मलेशिया और इंडोनेशिया के बीच का बेहद संकरा रास्ता है जो इस लिहाज से काफी अहम है, क्योंकि इस रास्ते से चीन समेत पूरे एशिया के लिए तेल सप्लाई होता है।
अमेरिका के साथ भारत का ये सम्भावित संयुक्त युद्धाभ्यास उसी तर्ज पर होगा, जैसे जून 2020 में भारत की नेवी ने जापान की नेवी के साथ किया था। भारत और जापान के संयुक्त अभ्यास को ‘पासेक्स’ नाम दिया गया, पासिंग एक्सरसाइज यूएस नेवी का वो अभ्यास है, जिसके जरिए 2 देश युद्धकाल में एक दूसरे से डिजिटल या इलेक्ट्रोनिक तरीके से संपर्क मे रहने और सहयोग करने का अभ्यास करते हैं।
एयरक्राफ्ट कैरियर निमित्ज यूएसएस थियोडोर रुजवेल्ड के साथ साउथ चाइना सी में वॉरगेम्स का हिस्सा था. दोनों ने फिलीपींस सी में डुअल कैरियर ऑपरेशंस किए, जिसको आयोजित करने के बारे में अमेरिकन नेवी ने कहा था, “अपने क्षेत्रीय मित्रों के लिए प्रतिबद्धता दिखाने के लिए, हिंद-प्रशांत महासागर में तेजी से अपनी सामूहित प्रतिरोधक ताकत की योग्यता दिखाने के लिए, और क्षेत्रीय स्थिरता को बरकरार रखने में सहयोग देने वाले अंतरराष्ट्रीय नियमों को चुनौती देने वालों के खिलाफ हमारी तत्परता दिखाने के लिए”.
ये खबर इसलिए भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि चीन ने हिंद महासागर में अपनी उपस्थिति में बढ़ोत्तरी कर दी है. चीन का चीन से बाहर केवल एक ही मिलिट्री बेस है, जोकि हॉर्न ऑफ अफ्रीका (लाल सागर के दक्षिणी किनारे पर) के जिबूती में है, जो रणनीतिक रुप महत्वपूर्ण से स्वेज नहर, अदन की खाड़ी और हिंद महासागर को जोड़ने वाले सामुद्रिक मार्ग के मुहाने पर है।
ये खबर चीन के आक्रामक रवैये की खबरों के बीच आई है। पिछले महीने चीन और भारत की बीच लद्दाख सीमा पर उस वक्त एक हिंसक झड़प हो गई थी। इस बीच, ये अहम संभावना भी है कि अमेरिका, जापान और भारत के साथ ऑस्ट्रेलिया भी मालाबार युद्धाभ्यास में इस साल के अंत में भाग लेगा। चारों देशों के बीच पहले से ही एक समझौता QUAD (The Quadrilateral Security Dialogue) भी है, जिसके लिए सभी विदेश मंत्री पिछले साल मिले भी थे।