कर्नाटक सरकार ने विशेष ट्रेनें चलाने का अनुरोध वापस लिया, प्रवासियों की वापसी हुई मुश्किल

कर्नाटक से प्रवासी कामगारों की घर वापसी अब मुश्किल होने वाली है। कर्नाटक की येदियुरप्‍पा सरकार ने प्रवासी कामगारों को उनके गृह राज्यों तक पहुंचाने के लिए विशेष ट्रेनें चलाने का अनुरोध अब वापस ले लिया है। बिल्डरों ने CM बीएस येदियुरप्पा से मुलाकात करके मजदूरों के घर लौटने के बाद निर्माण क्षेत्र के सामने आने वाले भयावह कामगार संकट से अवगत कराया था। अब राज्‍य सरकार ने प्रवासी मजदूरों को घर पहुंचाने के लिए विशेष ट्रेनें चलाने का अनुरोध वापस ले लिया।

बता दें कि प्रवासी मजदूरों के लिए नोडल अधिकारी एवं राजस्व विभाग में प्रधान सचिव एन मंजूनाथ प्रसाद ने दक्षिण पश्चिम रेलवे से बुधवार को छोड़ कर पांच दिन के लिए हर रोज दो स्‍पेशल ट्रेनें चलाने की गुजारिश की थी। कर्नाटक सरकार चाहती थी कि बिहार के दानापुर के लिए हर रोज 3 ट्रेनें चलाई जाएं। लेकिन अब प्रसाद ने पत्र लिख कर कहा कि विशेष ट्रेनों की जरूरत नहीं है। हालांकि कर्नाटक में अभी भी बड़ी संख्या में प्रवासी कामगार मौजूद हैं और घर वापसी करना चाहते हैं। उनका कहना है कि उनके पास न तो रोजगार है, ना ही पैसा।

वरिष्‍ठ अधिकारी एन मंजूनाथ ने दक्षिण पश्चिम रेलवे के महाप्रबंधक को लिखे पत्र में कहा है कि कल से ट्रेन सेवाओं की जरूरत नहीं हैं ऐसे में ट्रेनों की मांग से जुड़ा पत्र वापस लिया गया माना जाए। वहीं रेल अधिकारियों ने बताया है कि उन्हें राज्‍य सरकार की ओर से विशेष ट्रेनें चलाने को वापस लेने का वाला पत्र मिल गया है। सूत्रों का कहना है कि भवन निर्माताओं ने CM से कहा था कि यदि प्रवासी मजदूरों को वापस भेज दिया गया तो कामगारों की भारी कमी हो जाएगी।

सूत्रों के हवाले से पता चला है कि भवन निर्माताओं की दलील है कि Lockdown में छूट के चलते निर्माण सामग्री में आपूर्ति अब कोई बड़ा मसला नहीं रह गई है लेकिन यदि प्रवासी मजदूर चले गए तो कामगारों की कमी पड़ जाएगी। इस बीच मुख्यमंत्री येदियुरप्‍पा ने मजदूरों से रुकने की गुजारिश की और हर संभव मदद का भरोसा दिलाया है। वहीं यूपी, बिहार, ओडिशा और पश्चिम बंगाल के प्रवासी कामगार शहर में प्रदर्शन करते हुए घर वापसी की मांग कर रहे हैं। यही नहीं रिपोर्ट के मुताबिक, प्रवासी कामगारों ने अपनी मांग को लेकर उग्र प्रदर्शन के साथ साथ पुलिसकर्मियों पर भी हमले किए हैं।

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