कोरोना वायरस के कहर से दुनियां को बचाने के लिए अमेरिका ब्रिटेन समेत कई देश इसके वैक्सीन के इजाद में लगे हैं। अमेरिका में जहां कोरोना से सबसे ज्यादा लोग संक्रमित हैं तो वहीं अमेरिका वैज्ञानिक युद्ध स्तर पर इस जानलेवा वायरस के वैक्सीन की खोज में लगे हैं। आपको बता दें मनुष्यों पर परीक्षण के लिए संघीय मंजूरी हासिल चुका अमेरिका के टेक्सास एएंडएम यूनिवर्सिटी के रिसर्चर सैकड़ों चिकित्साकर्मियों पर कोरोना के वैक्सीन के चौथे चरण के ट्रायल की तैयारी में हैं। खबर है कि टीबी के वैक्सीन के ‘क्लीनिकल ट्रायल’ के चौथे फेज की तैयारी पूरी कर ली गई हैं। वैज्ञानिको का कहना है कि इस वैक्सीन से रोगी की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ सकती है और कोविड-19 के खतरनाक प्रभावों को भी कम किया जा सकता है। वहीं शोधकर्ताओं को उम्मीद है कि बेसिलस कैलमेट-गुएरिन या बीसीजी कोरोना वायरस के प्रभावों को कम करता है। साथ ही इसके प्रयोग से लोग कम संख्या में संक्रमित होंगे। इसके साथ ही शोधकर्ताओं का ये भी कहना है कि इस वैक्सीन का प्रयोग मूत्राशय के कैंसर के इलाज के लिए भी किया जाता है। हालाकि शोधकर्ताओं का ये भी मानना है कोरोना संक्रमितों के लिए बीसीजी वैक्सीन किस हद तक कारगर साबित होती है इसकी जानकारी टेस्ट और उसके नतीजों के बाद ही पता चलेगा। साथ ही इस बात की और भी इशारा किया है कि बीसीजी का मतलब कोरोना वायरस का इलाज करना नहीं है बल्कि एक टीका विकसित होने तक उस अंतराल को भरना है ताकि हमें टीका विकसित करने में समय मिल जाए।
आपको बता दें टेक्सास एएंडएम यूनिवर्सिटी के रिसर्चर बीसीजी क्लीनिकल का ट्रायल इस सप्ताह ही शुरू करेंगे और सबसे पहले स्वास्थ्यकर्मियों पर इसका परीक्षण किया जाएगा। शोधकर्ताओं ने ये साफ किया कि इससे लोगों को कोरना वायरस से संक्रमित होने से रोका तो नहीं जा सकेगा, लेकिन बीसीजी के टीका से लोगों की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में मदद जरूर मिलेगी।