कोरोना की वजह से राजधानी पटना के सरकारी समेत कई प्राइवेट अस्पतालों में बेड नहीं मिल रहे हैं. ऐसे में लोगों के पास घर पर ही बीमार लोगों का इलाज करने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा है. लेकिन लोगों के लिए घर पर भी इलाज करना मुश्किल हो गया है, क्योंकि राजधानी पटना सहित ग्रामीण इलाकों के अस्पतालों में ऑक्सीजन की भारी किल्लत है. कोरोना संक्रमण के मरीजों को दी जाने वाली जरूरी दवाएं बाजारों से गायब हैं और इनकी कालाबाजारी हो रही है.
कोरोना मरीजों की परेशानी को देखते हुए NVR24 टीम ने सोमवार को शहर के बोरिंग रोड, कंकड़बाग, राजेंद्र नगर, दिनकर गोलंबर, हनुमान नगर, बेली रोड, बुद्धा कॉलोनी, डॉक्टर कॉलोनी, न्यू पाटलिपुत्र सहित एक दर्जन जगहों पर अस्पतालों और ट्रॉमा सेंटर की पड़ताल की.
इस दौरान अधिकतर अस्पतालों में खास कर ओपीडी सेवा पूरी तरह से बंद मिली. जो सामान्य मरीज थे, उन्हीं को भर्ती किया जा रहा था. वहीं, कोरोना मरीज को लौटा दिया जाता था. अस्पताल के कर्मियों ने मरीज को भर्ती करने से मना कर दिया. जिन जगहों पर तैयार हुए, वहां भी पुरानी पर्ची के आधार पर और डॉक्टर से निर्देश के बाद ही मरीज की पूरी जांच के बाद ही भर्ती करने की बात कही.
यदि आप कोरोना के हल्के लक्षण वाले मरीज हैं और दस्त या उल्टी हो रही है. डॉक्टर ने अस्पताल ले जाकर पानी चढ़ाने की सलाह दी है, तो शहर के किसी भी अस्पताल में बेड नहीं उपलब्ध हो पायेगा. इतना ही नहीं आपको सर्दी-खांसी, बुखार, सीने या पेट दर्द की शिकायत है, तो निजी अस्पतालों में भी आपका इलाज नहीं होगा.
कंकड़बाग के जगदीश मेमोरियल, श्री सांईं, सत्य सांईं, श्री राम नर्सिंग होम, पॉपुलर, सहयोग समेत दर्जनों हॉस्पिटल में कोरोना मरीज को भर्ती के बारे में पूछने पर मना कर दिया गया. वहीं, कंकड़बाग के ही सांईं हॉस्पिटल में हार्ट के मरीज को सीने में दर्द होने की बात बताने पर स्टाफ ने सर्दी, खांसी, बुखार, सीने में दर्द की पूरी जानकारी ली. फिर कहा चेकअप के बाद ही आगे की कार्रवाई होगी. इमरजेंसी में डॉक्टरों के निर्देश के बाद उन्हीं मरीजों को देखा जा रहा है, जिन्हें सर्दी, खांसी, बुखार, सीने में दर्द, आंखों का संक्रमण समेत कोरोना नहीं है़