BIHAR POLITICS

बीजेपी को बिहार में सहयोगियों की तलाश, PM मोदी के हनुमान चिराग व मुकेश सहनी पर भी नजर

बिहार में सत्ता से बाहर होने के बाद भारतीय जनता पार्टी (BJP) को नए सहयोगियों की तलाश है। उसे 2024 के लोकसभा चुनाव (Lok Shabha Election 2024) से पहले महागठबंधन (Mahagathbandhan) के सात दलों से मुकाबला के लिए तैयारी करनी है। इसी कड़ी में खुद को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का हनुमान (Hanuman of PM Modi) कहते रहे पुराने सहयोगी चिराग पासवान (Chirag Paswan) के अतिरिक्त कुछ अन्य दलों और जातीय क्षत्रपों पर भी बीजेपी की नजर है। ये ऐसे क्षत्रप हैं, जो महागठबंधन में सहज महसूस नहीं कर पा रहे हैं। अंदरखाने में मुकेश सहनी (Mukesh Sahani) को भी साधने की चर्चा है।

चिराग ने चुनाव में जेडीयू का किया बड़ा नुकसान

बीते विधानसभा चुनाव में लोक जनशक्ति पार्टी (LJP) के अध्‍यक्ष चिराग पासवान ने बीजेपी के पक्ष में मतदान की अपील करते हुए उन जगहों पर अपने उम्‍मीदवार उतारे, जहां राष्‍ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) में एलजेपी व बीजेपी के साथ शामिल जनता दल यूनाइटेड (JDU) के उम्‍मीदवार मैदान में थे। इससे जेडीयू को सीटों का घाटा हुआ। माना गया कि मुख्‍यमंत्री नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) के कद को कम करने के लिए इसमें चिराग को बीजेपी का अप्रत्‍यक्ष समर्थन हासिल था। चुनाव के दौरान चिराग ने खुद को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का हनुमान बताया तथा उनसे निकटता जताने का कोई भी अवसर हाथ से जाने नहीं दिया।

खुलकर सामने आई नीतीश व चिराग की अदावत

चुनाव के बाद मुख्‍यमंत्री नीतीश कुमार व चिराग पासवान की राजनीतिक अदावत खुलकर सामने आई। माना जाता है कि नीतीश कुमार के दबाव में बीजेपी ने चिराग से किनारा कर लिया। इस बीच जब एलजेपी दो-फाड़ हो गई, तब बीजेपी ने विद्राेह कर चिराग से अलग होने वाले उनके चाचा पशुपति पारस (Pashupati Paras) की राष्‍ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी (RLJP) को एनडीए में शामिल करते हुए उन्‍हें केंद्र सरकार में मंत्री बना दिया। अब लोक जनशक्ति पार्टी रामविलास [LJP (R)] के अध्‍यक्ष चिराग पासवान एनडीए में हाशिए पर जाते दिखे।

बीजेपी की बिहार में पुराने सहयोगियों पर नजर

बिहार में अब राजनीति के करवट बदलने के बाद बीजेपी विपक्ष में अकेली पार्टी बन गई है। जबकि, एनडीए में उसके साथ सत्‍ता में रहा जेडीयू अब राष्‍ट्रीय जनता दल (RJD), कांग्रेस (Congress) व वाम दलों (Left Parties) के साथ सत्‍ताधारी महागठबंधन (Mahagathbandhan) में है। बिहार में अब बीजेपी के सामने फिर सत्‍ता में आने की चुनौती खड़ी हो गई है। इसके लिए वोटों के गणित को साधते हुए पुराने सहयोगियों को फिर साथ में लेना जरूरी है। बीजेपी इसे समझ रही है।

अब चिराग पासवान व मुकेश सहनी पर नजर

बीजेपी की नजर चिराग पासवान व मुकेश सहनी पर है। बीजेपी बिहार में दलित वोटरों की अहमियत को समझ रही है। बीजेपी यह भी समझ रही है कि पशुपति पारस का एलजेपी गुट भले ही उसके साथ है, लेकिन दलित मतदाताओं का बड़ा वर्ग चिराग पासवान के साथ है। बिहार के छह प्रतिशत पासवान मतदाताओं के बड़े वर्ग ने बीते विधानसभा चुनाव में एलजेपी को समर्थन दिया था। इसे देखते हुए आगामी लोकसभा चुनाव में विपक्षी महागठबंधन से मुकाबला करने के लिए बीजेपी को दलित मतदाताओं के समर्थन की जरूरत है।

चिराग को अपने पाले में करने की पहल शुरू

बीजेपी ने चिराग पासवान को अपने पाले में करने की पहल शुरू कर दी है। बीते बुधवार को सूरत में आयोजित हिंदी दिवस समारोह में ‘राजभाषा’ पर संसदीय समिति के सदस्य की हैसियत से चिराग पासवान शामिल हुए। कार्यक्रम के मुख्य अति​थि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह (Amit Shah) थे। बताया जा रहा है कि वहां अमित शाह व चिराग पासवान के बीच बिहार की राजनीति के संदर्भ में बातचीत हुई।

चिराग व पारस को साथ रखना चाहती बीजेपी

बताया जा रहा है कि बीजेपी बिहार में चिराग पासवान और पशुपति पारस, दोनों को साथ रखना चाहती है। इससे बीजेपी को एनडीए में एलजेपी का आधार वोट बैंक मिलेगा। इसके लिए फार्मूला ढूंढा जा रहा है। हालांकि, चिराग पासवान इसपर अभी मौन हैं।

अति पिछड़ा वोट के लिए सहनी पर भी नजर

बीजेपी बिहार में अति पिछड़ा समाज के वोट बैंक में बिखराव को रोकना भी चाहती है। इसके लिए उसकी नजर विकासशील इंसान पार्टी (VIP) प्रमुख मुकेश सहनी (Mukesh Sahani) पर भी है। बताया जा रहा है कि पार्टी इसकी पहल महाराष्ट्र की राजनीति के जरिए कर रही है। मुकेश सहनी का महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस से अच्‍छे संबंध हैं। बिहार के नए बीजेपी प्रभारी विनोद तावड़े भी महाराष्ट्र के ही हैं। पार्टी दोनों नेताओं का उपयोग कर सकती है। इसके पहले 2020 के बिहार विधानसभा चुनाव से पहले भी बीजेपी चुनाव प्रभारी के रूप में देवेंद्र फडणवीस ने मुकेश सहनी को महागठबंधन से तोड़कर बीजेपी के साथ जोड़ा था।

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