देश के 9 राज्यों में बर्ड फ्लू का खतरा है, संभावना जतायी जा रही है कि यह दूसरे राज्यों तक भी पहुंचेगा। सभी राज्य सतर्क हैं और अपने यहां पक्षियों की मौत पर नजर रख रहे हैं। अबतक जो राज्य इसकी चपेट में हैं उनमें केरल, मध्यप्रदेश, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश, गुजरात, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, दिल्ली, महाराष्ट्र और उत्तराखंड में वायरस से पक्षियों में संक्रमण की पुष्टि की गयी है। अगर आंकड़ों को गौर करें तो पायेंगे पूरे देश में पिछले 15 दिनों में बर्ड फ्लू के कारण पांच लाख से अधिक पक्षियों की मौत हो चुकी है।
देश के 8 राज़्यों में चिकन बैन कर दिया गया है। दिल्ली में उत्तरी और दक्षिणी दिल्ली नगर निगम के अधीन आने वाली सभी मीट की दुकानों का चेताया गया है। इन इलाको के होटल और रेस्तरां के मालिकों को भी चेताया गया है। आदेश जारी किया गया है कि इन इलाको में अंडा या चिकन ना परोसें। ऐसा करने वालों का लाइसेंस तक रद्द करने की बात कही गयी है। यूपी के कई जिलों में भी अलर्ट जारी किया गया है।
कई जगहों पर मांस बेचने पर रोक लगायी गयी है। इसके अलावा हिमाचल, राजस्थान सहित कई राज्य है जहां पर यह रोक लगायी गयी है। उत्तराखंड में पिछले कुछ दिनों में देहरादून, ऋषिकेश, कोटद्वार आदि जगहों पर करीब 300 पक्षी मरे हुए मिले हैं। यहां नमूनों के इंफ्लुएंजा से संक्रमित पाए जाने के बाद हाईअलर्ट जारी किया गया है।
इधर महाराष्ट्र में लातूर जिलों के कुछ हिस्सों में पक्षियों को मारने के आदेश दे दिये गये हैं। दिल्ली, महाराष्ट्र, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, केरल, राजस्थान, मध्य प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, हरियाणा और गुजरात में बर्ड फ्लू की पुष्टि हो चुकी हैं। पॉल्ट्री फॉर्म में काम करने वाले लोगों को मास्क, हैंड ग्लव्स व चश्मे का इस्तेमाल करने को कहा गया है।
केंद्र सरकार के सचिव (पशुपालन) अतुल चतुर्वेदी ने कहा, इससे ज्यादा डरने की जरूरत नहीं है। ऐसा खतरा हर साल होता है ऐसा इसलिए है क्योंकि हर साल भारत प्रभावित होता है। ऐसा इसलिए क्योंकि प्रत्येक वर्ष प्रवासी पक्षी दुनियाभर से यहां आते हैं। बर्ड फ्लू सितंबार-अक्टूबर से शुरू होता है जिसका प्रभाव फरवरी-मार्च तक रहता है।
साल 2006 में अधिकारियों ने इस बात की पुष्टि की थी कि भारत के महाराष्ट्र राज्य में मुर्गियों में बर्ड फ्लू के वायरस पाए गए हैं। यह पहला मौका था जब दुनिया के अनेक देशों में फैल चुकी इस बीमारी के वायरस भारत में पाए गए थे. पक्षियों की मौत की पहली खबर 25 दिसंबर को पहली बार राजस्थान के झालावाड़ से आई थी।