उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) में विधानपरिषद (UP MLC Election) की 12 रिक्त हुई सीटों पर एमएलसी चुनावों को लेकर सभी राजनीतिक पार्टियों की जोर आजमाइश शुरू हो चुकी है। MLC की इन 12 सीटों के लिए 11 जनवरी से नामांकन की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है, जो 18 जनवरी तक चलेगी। 19 जनवरी को नामांकन पत्रों की जांच और 21 जनवरी तक नाम वापसी का समय होगा, जबकि 28 जनवरी को सुबह 9:00 बजे से शाम 4:00 बजे तक मतदान का समय है। उसी दिन शाम 5:00 बजे के बाद मतगणना भी शुरू हो जाएगी।
अब अगर उत्तर प्रदेश की सियासी गणित को देखें तो इन 12 सीटों के चुनाव में BJP और SP ही सबसे बड़ी पार्टियां बन सकती हैं। BJP मौजूदा विधायकों की संख्या और अपने सहयोगी दलों के साथ मिलकर 12 में से 10 सीटें जितने का दम रखती है। वहीं समाजवादी पार्टी भी अगर अपने सारे तिकड़म आजमा लेती है और अपने सहयोगी दलों के साथ समाजवादी विचारधारा में विश्वास रखने वाली राजनीतिक पार्टियों को अपने साथ मिला लेती है तो वह भी 2 सीट जीतने की हकदार हो सकती है।
यूपी की विधान परिषद में 1 सीट जीतने के लिए 32 वोटों का होना जरूरी है और अगर सीटों की गणित को देखा जाए तो BJPके पास 310 विधायक हैं जिनके आधार पर वह सीधे-सीधे अपने सहयोगी दलों के साथ मिलकर 10 सदस्यों को विधान परिषद पहुंचा सकती है। क्योंकि अपना दल की विधायकों की संख्या भी BJP के साथ ही जाएगी। सदन में अपना दल के 9 विधायक हैं यानी BJP की संख्या बढ़कर 319 हो जाती है। 319 के आधार पर भाजपा अपने 9 विधायक तो आसानी से विधानपरिषद में पहुंच लेगी और 10वी के लिए उसे बहुत कम मशक्कत करनी पड़ेगी।
ठीक इसी तरह अगर समाजवादी पार्टी भी BSP से नाराज हुए विधायकों का वोट लेने में सफल हो जाती है तो वह भी अपने 2 प्रत्याशियों को सदन में पहुंचा सकती है। इसके अलावा RLD के एक विधायक और सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के भी 4 विधायकों को SP अपने खेमे में रखने की कोशिश जारी रखेगी। इसके अलावा कांग्रेस के भी विधायकों पर SP और BJP दोनों की नजर होगी। राज्यसभा के हुए हाल के दिनों के चुनाव में जिस तरह BSP के प्रत्याशी को राज्यसभा में भेजने के लिए BJP ने अंदरूनी मदद की थी तो अब जिम्मेदारी BSP की भी है। तो देखना होगा कि राज्यसभा की जीत के फल को BSP विधान परिषद में कैंडिडेट न उतार कर एहसान का बदला चुकाएगी या नहीं?