Bengal Assembly Elections 2021: सुरक्षा के लिहाज से बंगाल खतरे में, अलकायदा की हरकतों से बढ़ी चिंता

राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने बांग्लादेश की सीमा से सटे बंगाल के मुर्शीदाबाद जिले से अलकायदा से जुड़े दस से अधिक संदिग्ध आतंकियों को गिरफ्तार किया था। इसके बाद ही देश व राज्य की सुरक्षा को लेकर चिंता बढ़ना लाजिमी है। इस पर किसी को ऐतराज भी नहीं होना चाहिए। शनिवार को राज्यपाल जगदीप धनखड़ ने केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह से मुलाकात करने के बाद कहा कि सुरक्षा के लिहाज से बंगाल खतरे में है। यहां अलकायदा पांव पसार रहा है। अवैध रूप से बम बनाने का काम चल रहा है। राज्यपाल ने कहा- मैं जानना चाहता हूं कि वे (राज्य प्रशासन) क्या कर रहे हैं?

धनखड़ ने राजनीतिक हिंसा को लेकर गृहमंत्री को एक रिपोर्ट सौंपी है। राज्यपाल का कहना है कि बंगाल इकलौता राज्य है जहां राज्य सुरक्षा सलाहकार है। मैं यह जानना चाहता हूं कि वे क्या कर रहे हैं? यहां लगातार बम धमाकों की खबरें आती हैं, उस वक्त वे कहां होते हैं? राज्यपाल का कहना है कि बंगाल में पुलिस का भी राजनीतिकरण हो गया है। राज्य के पुलिस महानिदेशक की स्थिति एक खुला रहस्य है। इस वजह से मैं कहता हूं कि हमारे पास राजनीतिक पुलिस है जिसने बंगाल की सरकार को अपने कब्जे में ले लिया है।

राज्यपाल का मानना है कि वर्ष 2021 बंगाल में लिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। पंचायत चुनाव, लोकसभा चुनाव रक्तरंजित रहे हैं और नियमों की अवहेलना हुई है। हालांकि राज्यपाल ने गृहमंत्री से हुई चर्चा के बारे में कुछ भी कहने से साफ इन्कार कर दिया। परंतु उन्होंने जिस तरह से मीडिया के समक्ष बंगाल में आतंकी संगठन अलकायदा के पांव पसारने की बात कही, उसे लेकर सिर्फ तृणमूल ही नहीं, राष्ट्रीय जनता दल जैसे विरोधी दलों के नेता भी धनखड़ की आलोचना कर रहे हैं। क्या राज्यपाल राष्ट्रीय व राज्य की सुरक्षा को लेकर कुछ नहीं बोल सकते? यह बड़ा सवाल है।

क्या बंगाल में अलकायदा के संदिग्धों की गिरफ्तारी नहीं हुई है? बांग्लादेशी आतंकी संगठन जमात-उल-मुजाहिदीन से लेकर विश्व के घातक आतंकी संगठन आइएस और लश्कर-ए-तैयबा तक के आतंकियों की बंगाल से गिरफ्तारी हो चुकी है। बंगाल में आतंकी गिरफ्तारी नहीं हुई होती और राज्यपाल वैसे ही यह कह देते तो इसके राजनीतिक अर्थ निकाले जाते। परंतु जब गिरफ्तारी हो चुकी है और वही बात राज्यपाल दोहरा रहे हैं तो फिर सवाल क्यों? क्या सिर्फ केंद्रीय एजेंसी का ही कार्य आतंकियों को गिरफ्तार करना है। राज्य पुलिस प्रशासन की भी तो यह जिम्मेदारी है।

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