बिहार विधानसभा चुनाव से पहले यशवंत सिन्हा ने किया तीसरे मोर्चे का ऐलान

BJP के पूर्व नेता और केंद्रीय मंत्री रहे यशवंत सिन्हा ने आज बिहार विधानसभा चुनाव से पहले प्रदेश में तीसरे मोर्चे का ऐलान किया। उन्होंने प्रेस कॉन्फ्रेंस में यह बताया कि प्रदेश की बदहाल स्थिति को देखते हुए वे तीसरे मोर्चे का गठन कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि यह मोर्चा प्रदेश में एनडीए और महागठबंधन का विकल्प बनेगा। हालांकि उन्होंने अभी इस बात का खुलासा नहीं किया कि इस मोर्चे में कौन-कौन शामिल हो रहे हैं और क्या वे खुद चुनावी मैदान में उतरेंगे या नहीं।

यशवंत सिन्हा ने कहा कि हम बिहार का गौरव फिर से स्थापित करने के लिए आ रहे हैं। इस मौके पर उन्होंने घोषणा की कि तीसरा मोर्चा आगामी विधानसभा चुनाव में भाग लेगा। उन्होंने बताया कि कई दिनों से अपने कुछ साथी नेताओं व बुद्धिजीवियों के साथ मिलकर उन्होंने यह किया कि हम बिहार के विकास व उसके गौरव के लिए आगे आयेंगे।

उन्होंने विधानसभा चुनाव लड़ने की घोषणा की और कहा कि हम आने वाले चुनाव में मिलकर लड़ेंगे। प्रदेश की हालत को बदलने व बेहतर बनाने में सरकार की भूमिका होती है। वर्तमान बदहाली के लिए सरकार जिम्मेदार है और हम मिलकर इसे हटायेंगे।

यशवंत सिन्हा ने बिहार में रोजगार, शिक्षा, स्वास्थ्य, उद्योग, भ्रष्टाचार इत्यादि के मुद्दे को भी उठाया। इस दौरान उन्होंने थर्ड फ्रंट की बात पर आपत्ति जताते हुए कहा कि यह भविष्य तय करेगा कि हम तीसरे हैं, दूसरे हैं या पहले हैं।

आगे की रणनीति पर उन्होंने कहा कि बिहार को कैसे बदला जाएगा इसे लेकर विस्तृत जानकारी बाद में दी जाएगी। अभी केवल हम यह बताने आये हैं कि हम बेहतर बिहार, बदलो बिहार के लिए चुनाव लड‍़ेंगे। उन्होंने कहा कि व्यक्तिगत तौर पर कई नेता हमारे साथ हैं। आज केवल चुनाव लडने की बात करूंगा। बहुत लोग हमसे संपर्क में हैं.दूसरे दलों के नेता भी हमसे जुड़ सकते हैं। लेकिन यदि कोई शर्त लेकर आएगा तो उसपर विचार किया जाएगा।

यशवंत सिन्हा खुद चुनाव लड़ेंगे या नहीं,इस बात पर उन्होंने कहा कि यह भविष्य तय करेगा। अभी इसपर कुछ भी नहीं कहा जा सकता। जैसी परिस्थिति होगी,उस हिसाब से तब इसपर विचार किया जाएगा।

वर्चुअल कैंपेनिंग का विरोध
चुनाव के लिए वर्चुअल कैंपेनिंग का विरोध करते हुए उन्होंने कहा कि यह एक खर्चीली व्यवस्था है। चुनाव आयोग अगर परंपरागत प्रचार को लागू नहीं कर इस जरिये को अनुमति देता है तो गलत होगा।यह धनवान दलों व नेताओं को मदद करेगा और गरीब उम्मीदवारों के लिए यह गलत होगा।

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