Rafale combat aircraft

सुरक्षित पहुंचा राफेल, अब देश के दुश्‍मनों को सोचना होगा-राजनाथ स‍िंह

फ्रांस से लंबी उड़ान के बाद राफेल विमानों के पहले जत्थे की अंबाला एयरबेस पर सुरक्षित लैंडिंग हो गई है। रक्षा मंत्री Rajnath Singh ने देश को जानकारी दी कि फाइटर्स अंबाला में सुरक्षित तरीके से लैंड कर चुके हैं। विमानों की लैंड‍िंग पर खुशी जाहिर करते हुए रक्षा मंत्री ने वायुसेना को इसके लिए बधाई दी। उन्‍होंने कहा कि अब देश के दुश्‍मनों को सोचना होगा। रक्षा मंत्री ने एक के बाद एक सिलसिलेवार कई ट्वीट किए। उन्‍होंने कहा, ‘भारत में Rafale लड़ाकू विमानों का पहुंचना देश के सैन्य इतिहास में एक नए युग की शुरुआत है। यह मल्टीरोल एयरक्राफ्ट निश्चित तौर पर देश की वायुसेना की ताकत को बढ़ाएंगे।’

राजनाथ ने देश के दो टूक कहा कि अब किसी को यदि भारतीय वायुसेना की ताकत को लेकर चिंता करना चाहिए तो उन्हें जो हमारी क्षेत्रीय अखंडता को खतरे में डालना चाहते हैं। मैं भारतीय वायुसेना को बधाई देता हूं। मुझे यकीन है कि 17 स्क्वॉड्रन, गोल्डन एरो अपने मिशन पर काम करता रहेगा। इन विमानों के शामिल होने से वायुसेना की युद्धक क्षमता में समय पर बढ़ोतरी हुई है।


कांग्रेस इस खरीद को लेकर सवाल उठाती रही है। रक्षा मंत्री ने अपने ट्वीट में विपक्ष को भी आईना दिखाते हुए कहा कि Rafale विमान की खरीद तब हुई जब यह भारतीय वायुसेना की ऑपरेशनल जरूरतों पर पूरी तरह से खरा उतरा। उन्‍होंने विपक्ष के आरोपों को आधारहीन बताते हुए कहा कि इस खरीद ने सभी सवालों के जवाब दे दिए हैं। राफेल अति उन्‍नत विमान हैं जिसके हथियार, रडार एवं अन्य सेंसर और इलेक्ट्रॉनिक हथियार दुनिया में सर्वश्रेष्ठ हैं। राफेल की ताकत भारतीय वायुसेना को किसी भी खतरे को रोकने सक्षम बनाएगी।


रक्षा मंत्री ने Rafale की अंबाला एयरबेस पर लैंडिंग का वीडियो भी साझा किया है। रक्षा मंत्री ने कहा कि राफेल जेट खरीदे गए क्योंकि PM मोदी ने फ्रांस के साथ समझौता के जरिए इन विमानों को हासिल करने का बड़ा फैसला लिया। यह खरीद प्रक्रिया लंबे समय से अटकी हुई थी। रक्षा मंत्री ने लिखा, ‘मैं PM मोदी को उनके साहसिक फैसले के लिए धन्यवाद देता हूं।’

उल्‍लेखनीय है कि भारत ने वायुसेना के लिये 36 राफेल विमान खरीदने के लिए 4 साल पहले फ्रांस के साथ 59 हजार करोड़ रुपए का करार किया था। फ्रांस के बंदरगाह शहर बोर्डेऑस्क में वायुसेना अड्डे से रवाना हुए ये विमान लगभग 7 हजार किलोमीटर का सफर तय करके बुधवार को अंबाला वासुसेना अड्डे पर पहुंच गए। इन विमानों ने बीच में केवल संयुक्त अरब अमीरात में लैंडिंग की थी। भारत को यह लड़ाकू विमान ऐसे समय में मिल रहे हैं, जब उसका पूर्वी लद्दाख में सीमा के मुद्दे पर चीन के साथ गतिरोध चल रहा है।


आधिकारिक बयान में कहा गया है कि 10 विमानों की आपूर्ति समय पर पूरी हो गई है। इनमें से 5 विमान प्रशिक्षण मिशन के लिए फ्रांस में ही रुकेंगे। सभी 36 विमानों की आपूर्ति 2021 के अंत तक पूरी हो जाएगी। वायुसेना को पहला राफेल विमान पिछले साल रक्षा मंत्री Rajnath Singh की फ्रांस यात्रा के दौरान सौंपा गया था। भारत और फ्रांस के सरकारों के बीच हुई यह रक्षा खरीद सामरिक साझेदारी का एक शक्तिशाली प्रतीक भी मानी जा रही है। सूत्रों की मानें तो इन्हें बल में शामिल करने को लेकर औपचारिक समारोह का आयोजन अगस्त के मध्य में किया जा सकता है।

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