दशहरा हिंदुओं के सबसे अहम त्योहारों में से एक है। इसे Vijayadashmi भी कहा जाता है, जो देश में हर्षोल्लास के साथ मनायी जाती है। इस दिन नवरात्रि की समाप्ति भी मानी जाती है। हिन्दू धर्म के विक्रम सम्वत कैलेंडर में Dussehra आश्विन माह की दशमी को आता है। इस साल विजयादशमी रविवार यानी आज 25 अक्टूबर को मनायी जाएगी। श्री राम ने रावण का वध किया था और उसके दस सिर थे, इसलिए इस दिन को दशहरा कहा जाता है। इसके अलावा मां दुर्गा ने महिषासुर का वध किया था इसलिए इसे विजयादशमी कहा जाता है।
पहले के जमाने में विजयादशमी के दिन शस्त्रों की पूजा की जाती थी। हालांकि रियासतकाल के समय ऐसा होता था। रियासतें अब नहीं है, लेकिन शस्त्र पूजन की परम्परा अब भी है। आत्म रक्षा के लिए रखे जाने वाले हथियारों की पूजा इस दिन की जाती है। शुभ कामों का फल मिलने के अलावा शत्रुओं पर विजय पाने के लिए भी शस्त्र पूजा करने की परम्परा है।
शस्त्र पूजन की विधि- मान्यता है कि इस दिन आयुध पूजन करने से शत्रुओं पर विजय की प्राप्ति होती है।
इस दिन घर के सभी अस्त्र-शस्त्र को इकठ्ठा कर लें और उन पर गंगाजल छिड़क कर उन्हें शुद्ध कर लें।
इसके बाद शस्त्रों पर हल्दी-कुमकुम का टीका लगाएं और उन पर फूल इत्यादि अर्पित करें।
इस दिन की पूजा में शमी के पत्तों को अवश्य शामिल करें।
इस दिन को नया वाहन खरीदने के लिए भी बेहद शुभ माना गया है।
पूजा करते समय- श्रियं रामं , जयं रामं, द्विर्जयम राममीरयेत। त्रयोदशाक्षरो मन्त्रः, सर्वसिद्धिकरः स्थितः।।
कैसे मनाते हैं दशहरा
देवी मां के 9 दिन की पूजा-अर्चना यानि नवरात्रि के पर्व के बाद दसवें दिन जश्न के तौर पर दशहरे का आयोजन किया जाता है। इस दिन देश में कई जगहों पर राम लीला का आयोजन होता है, जिसमे कलाकार रामायण के पात्र बनते हैं और राम-रावण के इस युद्ध को नाटिका के रूप में प्रस्तुत करते हैं। मैदानों में दस सिर वाले रावण, मेघनाद और कुंभकर्ण के पुतले रखे जाते हैं और अंत में उसको जलाया जाता है। पटाखों और रोशनी में डूबा हुआ यह दिन बेहद ही खूबसूरत और पावन होता है।
दशहरा के त्योहार का महत्व
इस त्योहार का अर्थ होता है बुराई पर अच्छाई की जीत। उस दौर में मर्यादापुरुषोत्तम भगवान राम ने माता सीता को अहंकारी रावण के चंगुल से छुड़ाने के लिए उसका वध किया था। रावण का वध होना और भगवान राम का माता सीता को सही-सलामत बचा लेना ही बुराई पर अच्छाई की जीत मानी गई है। हालांकि आज के दौर के हिसाब से बात करें तो, आज के समय में समाज में सौ तरह की कुरीतियां फैली हुई हैं। झूठ, छल, कपट, धोखेबाजी, करप्शन, भ्रष्टाचार, हिंसा, भेद-भाव, द्वेष, यौन शोषण- ऐसे में हर साल हम दशहरे का त्योहार इसी विश्वास के साथ मनाते हैं कि हम समाज की इन बुराइयों को खत्म कर सकें और अच्छाई की जीत का परचम लहरा सकें।
जानिए दशहरा पूजा का समय और शुभ मुहूर्त…
दिन: रविवार, 25 अक्टूबर 2020
विजय मुहूर्त: दोपहर 1 बजकर 57 मिनट से 2 बजकर 42 मिनट तक
अपराह्न पूजा समय: दोपहर 1 बजकर 12 मिनट से 3 बजकर 37 मिनट तक
दशमी तिथि की शुरुआत: सुबह 7 बजकर 41 मिनट, 25 अक्टूबर, 2020
दशमी तिथि की समाप्ति: सुबह 9 बजे, 26 अक्टूबर, 2020
Dussehra की समाप्ति के साथ ही देश भर में चलने वाली रामलीला मंचन की समाप्ति भी हो जाती है। वहां भी रावण का वध करने के बाद रामलीला सम्पन्न करने की प्रक्रिया शुरू हो जाती है। रावण पर राम की जीत के कारण ही यह त्योहार मनाया जाता है और रामलीला की अहमियत भी इस दिन सबसे ख़ास होती है। Dussehra त्योहार के साथ ही दीवाली की तैयारियां भी शुरू हो जाती है। दशहरा के 20 दिन बाद दिवाली आती है जिसे दीपों का त्योहार कहा जाता है।