लॉकडाउन में कैसे करें वट पूजा

सुहागिन स्त्रियों के लिए Vat सावित्री की पूजा बहुत विशेष मानी गई है। इस व्रत की मान्यता करवा चौथ की भांति है। इस दिन सुहागिन स्त्रियां व्रत रखकर पति के स्वास्थ्य और समृद्धि के लिए पूजा करती हैं। Vat सावित्री का व्रत सुखद वैवाहिक जीवन के लिए भी बहुत फलदायी माना गया है।

इस समय पंचांग के अनुसार ज्येष्ठ मास चल रहा है। हर वर्ष ज्येष्ठ मास की कृष्ण अमावस्या को यह व्रत रखा जाता है। इस व्रत रखने वाली महिलाएं बरगद के पेड़ को जल चढ़ा कर कुमकुम, अक्षत लगाती हैं और पेड़ के चारों तरफ चक्कर लगाकर रोली बांधती हैं। इस दिन सती सावित्री की कथा सुनना बहुत ही शुभ माना गया है।

मान्यता है कि देवी सावित्री ने बरगद पेड़ के नीचे बैठकर ही अपने मृत पति सत्यवान को जीवित किया था। इसलिए इस व्रत को Vat सावित्री कहा जाता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार बरगद के वृक्ष में ही ब्रह्मा, विष्णु और महेश का वास होता है। इस कारण इसे पवित्र वृक्ष भी कहा जाता है।

Vat सावित्री की पूजा त्रयोदशी की तिथि से आरंभ होता है। कुछ स्थानों पर महिलाएं 3 दिन का भी व्रत रखती हैं। यानि त्रयोदशी की तिथि से अमावस्या तक। लेकिन अमावस्या का व्रत इस पूजा के लिए उत्तम माना गया है।

पूजा विधि
सुबह स्नान के बाद से ही पूजा की तैयारी आरंभ करें। इस दिन सूर्य भगवान को जल अर्पित करें। पूजा की सामग्री सूप या बांस की टोकरी या पीतल के पात्र में रखें और बरगद के पड़े की पूजा प्रारंभ करें।

लॉकडाउन में वट पूजा
इस समय पूरे देश में Coronavirus के चलते Lockdown है। लोगों को SOCIAL DISTANCING का पालन करने के लिए कहा गया है। ऐसी स्थिति में यह पूजा घर पर ही करें। इसके लिए यादि बरगद की टहनी आसानी से उपलब्ध हो जाए तो उसकी पूजा करनी चाहिए। अन्यथा तीनो देवों की पूजा करें।

पूजा और व्रत का मुहूर्त
अमावस्या तिथि आरंभ: 21 बजकर 35 मिनट से (21 मई 2020)
अमावस्या तिथि समाप्त: 23 बजकर 07 मिनट तक (22 मई 2020)

Leave a Comment

Your email address will not be published.

बिहार के इन 2 हजार लोगों का धर्म क्या है? विश्व का सबसे अमीर क्रिकेट बोर्ड कौन सा है? दंतेवाड़ा एक बार फिर नक्सली हमले से दहल उठा SATISH KAUSHIK PASSES AWAY: हंसाते हंसाते रुला गए सतीश, हृदयगति रुकने से हुआ निधन India beat new Zealand 3-0. भारत ने किया कीवियों का सूपड़ा साफ, बने नम्बर 1