शनिदेव के 5 सबसे बड़े धाम, प्रसन्न करने के लिए कीजिये ये उपाय

जीवन में खुशियों की सौगात पाने के लिए शनिदेव की कृपा पाना बेहद जरूरी है, क्योंकि शनिदेव को ग्रहों में सबसे प्रभावशाली माना गया है और वो मनुष्य को उसके कर्मों के अनुसार फल देते हैं । यही एक वजह है कि लोग शनिदेव की पूजा में बहुत सावधानी बरतते हैं और उनके प्रकोप से बचने के लिए शनिवार के दिन उनकी पूजा करते हैं ।आज हम आपको शनिदेव के उन चमत्कारी धामों के बारे में बताएंगे जहां शनिदेव विराजते हैं।

शनि मंदिर (इंदौर)
शनिदेव का प्राचीन और चमत्कारिक मंदिर जूनी इंदौर में स्थित है । ये भारत का ही नहीं दुनिया का सबसे प्राचीन शनि मंदिर है । ऐसा माना जाता है कि जूनी इंदौर में स्थापित इस मंदिर में शनि देवता स्वयं पधारे थे । मंदिर के स्थान पर लगभग 300 वर्ष पहले एक 20 फुट ऊंचा टीला था । यहां आने वाले भक्त पर शनिदेव की विशेष कृपा बरसती है ।

शनि शिंगणापुर (महाराष्ट्र)

महाराष्ट्र में स्थित इस मंदिर की ख्याति देश ही नहीं विदेशों में भी है । कई लोग तो इस स्थान को शनि देव का जन्म स्थान भी मानते है । ऐसा कहा जाता है कि यहां शनि देव हैं, लेकिन मंदिर नहीं है । घर है लेकिन दरवाजा नहीं वृक्ष है लेकिन छाया नहीं है । शिंगणापुर के इस चमत्कारी शनि मंदिर में स्थित शनिदेव की प्रतिमा है । ये प्रतिमा पांच फीट नौ इंच ऊंची और एक फीट छह इंच चौड़ी है । देश-विदेश से श्रद्धालु यहां आकर शनिदेव की इस दुर्लभ प्रतिमा का दर्शन लाभ लेते हैं ।

शनिचरा मंदिर (मुरैना)
मध्य प्रदेश में ग्वालियर के पास एंती गांव में शनिदेव मंदिर है । इस त्रेतायुगीन शनि मंदिर में प्रतिष्ठत शनिदेव की प्रतिमा भी विशेष है । माना जाता है कि ये प्रतिमा आसमान से टूट कर गिरे एक उल्कापिंड से निर्मित है । ज्योतिषी और खगोलविद मानते है कि शनि पर्वत पर निर्जन वन में स्थापित होने के कारण ये स्थान विशेष प्रभावशाली है । महाराष्ट्र के सिंगनापुर शनि मंदिर में प्रतिष्ठित शनि शिला भी इसी शनि पर्वत से ले जाई गई है । मान्यता है कि हनुमान जी ने शनिदेव को रावण की कैद से मुक्त कराकर उन्हें मुरैना पर्वतों पर विश्राम करने के लिए छोड़ा था । मंदिर के बाहर हनुमान जी की मूर्ति भी स्थापित है.

शनि मंदिर (प्रतापगढ़ )

शनि देव का ये मंदिर उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ में स्थित है । ये शनि धाम के रूप में विख्यात है । प्रतापगढ़ जिले के विश्वनाथगंज बाजार से 2 किमी दूर कुशफरा के जंगल में यह मंदिर है । भगवान शनि का प्राचीन पौराणिक मन्दिर लोगों के लिए श्रद्धा और आस्था का केंद्र हैं । मान्यता कि ये ऐसा स्थान है जहां आते ही भक्त भगवान शनि की कृपा का पात्र बन जाता है ।अवध क्षेत्र का ये एक मात्र पौराणिक शनि धाम है । यहां प्रत्येक शनिवार भगवान को 56 प्रकार के व्यंजनों का भोग लगाया जाता है ।

शनि तीर्थ क्षेत्र (असोला, फतेहपुर बेरी)

यह मंदिर दिल्ली के महरौली में स्थित है । यहां शनि देव की सबसे बड़ी मूर्ति विद्यमान है । ये मूर्ति अष्टधातुओं से बनी है । यहां आने वाले भक्त ही मुराद पूरी होती है । शनि का ये धाम भक्तों की आस्था का केंद्र है ।

शनिदेव को प्रसन्न करने के लिए उपाय

काला तिल, तेल, काला वस्त्र, काली उड़द शनि देव को अत्यंत प्रिय है । इसी से ही शनि की पूजा होती है । शनि वार व्रत रखें और शनि स्त्रोत का पाठ करें. शनिवार को सुबह ब्रह्म मुहूर्त में स्नान करें. शनिदेव की प्रतिमा की विधि पूर्वक पूजा करें । शनि मंदिर में नीले लाजवन्ती के फूल, तिल, तेल, गुड़ अर्पित करें । शनि देव के नाम से दीप जलाएं. पूजा के बाद अपने अपराधों के लिए क्षमा याचना करें । शनि देव की पूजा के बाद राहु-केतु की पूजा भी करें । शनिवार को पीपल में जल दें और पीपल पर सूत्र बांधकर सात बार परिक्रमा करें ।

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