कोरोना का संकट इस वक्त पूरी दुनिया पर छाया है। ऐसे में जो भारतीय इस कठिन समय में अमेरिका यूरोप समेत अलग अलग देशों में नौकरी कर रहे हैं उन पर नौकरी जाने का संकट खड़ा हो गया है। वहीं विश्व की अर्थव्यवस्था भी चरमरा गई है। सभी देश कोरोना से लड़ने के अलावा गिरती अर्थव्यवस्था को सुधारने में लगे हैं। ऐसे में अपने-अपने देश की अर्थव्यस्था और रोजगार बनाए रखने का प्रयास कर रहे हैं। इसी कड़ी में दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था वाले देश अमेरिका ने सख्त कदम उठाए हैं। अमेरिका के चार सांसदों ने डोनाल्ड ट्रंप पर दबाव बनाया है कि वह एच-1बी एंट्री सहित गेस्ट वर्कर वीजा और विदेशी छात्रों के लिए वैकल्पिक प्रैक्टिल ट्रैनिंग को रद्द किया जाए। आपको बता दें इन वीजा प्रोग्राम्स को रद्द करने से इसका सबसे ज्यादा असर भारत पर पड़ेगा।
अमेरिकी सांसदों ने कहा है कि कम से कम एच-2बी वीजा, एच- बी वीजा, वैकल्पिक प्रैक्टिल ट्रैनिंग प्रोग्राम और ईबी -5 यानी आप्रवासी वीजा कार्यक्रम का उपयोग अन्य देश के नगरिक अमेरिका में निवेश के बदले अमेरिकी में स्थाई रूप से रहने के लिए करते हैं ऐसे में इन सभी वीजा श्रेणियों को स्थगित किया जाना चाहिए।
आपको बता दें अमेरिकी राष्ट्रपति के सामने इस बाबत जो पत्र लिखा गया है उसमे कहा गया है कि कोरोना वायरस महामारी से अप्रैल में 20.5 मिलियन यानी 2 करोड़ से ज्यादा नौकरियां चली गईं जिससे 14.7 प्रतिशत बेरोजगारी बढ़ गई है। लेबर पार्टी के सांसद ने कम से कम अगले साल या बेरोजगारी सामान्य स्थिति में नहीं आने तक नए गेस्ट वर्कर वीजा को रद्द करने की मांग की गई है। इसके साथ ही ये भी कहा गया है कि अगर अतिरिक्त विदेशी गेस्ट वर्कर यहां आएंगे तो अमेरिकी नागरिकों को जॉब मिलने में काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ेगा, और ऐसे में अमेरिकी नागरिक भी बड़े पैमाने पर बेरोजगारी का सामना कर सकते हैं।