भारत के सामने घुटने टेकेंगे अमेरिका और चीन, ये रिपोर्ट पढ़कर हो जाएगा यकीन

ओईसीडी के फ्रेश ग्रोथ अनुमान के अनुसार, भारत 2023 में 6.3 फीसदी की वृद्धि दर्ज करेगा, जो चीन और ब्राजील की वृद्धि दर क्रमशः 5.2 फीसदी और 3 फीसदी से कहीं अधिक है. ओईसीडी का अनुमान है कि 2024 में इंडियन इकोनॉमी 6.1 फीसदी की दर से बढ़ेगी, जबकि चीन की वृद्धि दर 4.7 फीसदी रहेगी.

देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लगातार इस बात को कह रहे हैं कि यह दशक भारत का है. जिस पर दुनिया भर की आर्थिक एजेंसियां अपनी मुहर लगा रही हैं. अगर बात साल 2023 की करें तो ग्लोबल इकोनॉमी के लिए कुछ खास नहीं रहा. जियो पॉलिटिकल टेंशन चरम पर रहने की वजह से दुनिया की इकोनॉमी कुछ खास नहीं रही. जर्मनी और कुछ देशों के मंदी में जाने की खबरें आई. लेकिन भारत की इकोनॉमी पर इन सब का बिल्कुल भी अर देखने को नहीं मिला. अब जो अनुमान सामने आया है उससे चीन के साथ अमेरिका भी परेशान है. दोनों ही देशों की इकोनॉमी में गिरावट का अनुमान लगाया गया है. वहीं भारत की इकोनॉमी फिर से दुनिया में सबसे ज्यादा तेजी बढ़ने वाली इकोनॉमी बन सकती है. आइए इस बात को कुछ आंकड़ों से समझने की कोशिश करते हैं.

कितनी रह सकती है भारत की ग्रोथ

दुनिया के विकसित देशों में व्यापक निराशावाद और बिगड़ती भू-राजनीतिक स्थिति के बावजूद मार्च तिमाही में भारत की जीडीपी की वृद्धि दर 6.1 फीसदी रही. जून तिमाही में भारत की इकोनॉमी 7.8 फीसदी की दर से बढ़ी, जबकि सितंबर तिमाही में वृद्धि दर 7.6 फीसदी चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही में देश की इकोनॉमिक ग्रोथ रेट 7.7 फीसदी रहा. भारतीय अर्थव्यवस्था की यह रफ्तार दिसंबर तिमाही में भी जारी रहने की उम्मीद है. इस तरह भारत दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ने वाली प्रमुख इकोनॉमी बना रहेगा. यानी भारत इस मामले में चीन से आगे रहेगा.

ग्लोबल इकोनॉमी से अमेरिका, चीन तक में गिरावट

आर्थिक सहयोग एवं विकास संगठन यानी ओईसीडी के फ्रेश ग्रोथ अनुमान के अनुसार, भारत 2023 में 6.3 फीसदी की वृद्धि दर्ज करेगा, जो चीन और ब्राजील की वृद्धि दर क्रमशः 5.2 फीसदी और 3 फीसदी से कह अधिक है. ओईसीडी का अनुमान है कि 2024 में इंडियन इकोनॉमी 6.1 फीसदी की दर से बढ़ेगी, जबकि चीन की वृद्धि दर 4.7 फीसदी रहेगी. हालांकि, भारत के संदर्भ में ओईसीडी के वैश्विक वृद्धि दर के अनुमान को कुछ कम माना जा रहा है. वहीं दूसरी ओर अमेरिका, ब्रिटेन और जापान सहित कुछ प्रमुख इकोनॉमीज में नए साल में ग्रोथ रेट में या तो गिरावट आ सकती है, या इनमें मामूली बढ़ोतरी हो सकती है. अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) के विश्व इकोनॉमिक आउटलुक के अनुसार ग्लोबल ग्रोथ 2022 में 3.5 फीसदी से घटकर 2023 में तीन फीसदी और 2024 में 2.9 फीसदी रहने का अनुमान है.

इंडियन इकोनॉमी में तेजी क्यों?

भारतीय रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की सदस्य आशिमा गोयल ने कहा कि भारत की ग्रोथ ने कई बाहरी झटकों के बावजूद काफी जुझारू क्षमता दिखाई है. उन्होंने कहा कि लोगों को बेहतर कौशल और संपत्ति से लैस करने से 2024 और उससे आगे भारत अच्छी वृद्धि हासिल कर सकता है. रेटिंग एजेंसी क्रिसिल के मुख्य अर्थशास्त्री धर्मकीर्ति जोशी ने कहा कि आने वाले वर्ष में भूराजनीतिक घटनाक्रम फिर से भारत की घरेलू मांग की मजबूती का परीक्षण करेगा. उन्होंने कहा कि हमें उम्मीद है कि आने वाले वित्त वर्ष में जीडीपी की वृद्धि दर 6.4 फीसदी रहेगी, जो चालू वित्त वर्ष से कुछ कम है.

क्या है भारत के लिए टेंशन की बात

इकोनॉमी पर भारतीय रिजर्व बैंक के एक हालिया लेख में कहा गया है कि ग्लोबल लेवल पर प्रतिकूल परिस्थितियों के बावजूद भारत 2023 में सबसे तेजी से बढ़ती प्रमुख इकोनॉमी बना रहा. एमपीसी के सदस्य जयंत आर वर्मा ने कहा कि कुछ कठिन वर्षों के बाद आर्थिक माहौल बेहतर हो रहा है. महंगाई घट रही है और वृद्धि बढ़ रही है. ज्यादातर अनुमानों में कहा गया है कि 2024-25 में भारत की वृद्धि दर 2023-24 की तुलना में कुछ कम रहेगी. वृद्धि की राह में सबसे बड़ा जोखिम ग्लोबल इकोनॉमी की सुस्ती और जियो पॉलिटिकल टेंशन है.

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