UP Election 2022 Ghatampur Seat: पहली बार खिला था ‘कमल’, क्या अब समीकरण बिठा पाएंगे CM Yogi?

देश के सबसे बड़े सूबे यानी उत्तर प्रदेश में विधानसभा का चुनावी (UP Election 2022) दंगल सजने लगा है. सभी दल अपने-अपने पहलवानों को तैयार करने में लगे हुए हैं. इस चुनाव में कानपुर की घाटमपुर विधानसभा सीट (Ghatampur Assembly Seat) पर भी सभी की निगाहें रहेंगी. यहां की आब-ओ-हवा में चुनावी माहौल का असर दिखने लगा है. समाजवादी पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) अपनी विजय रथयात्रा के दौरान इस इलाके में चुनावी जनसभा को संबोधित भी कर चुके हैं. अखिलेश के आने से समीकरण दिलचस्प होने लगे हैं. वैसे भी इस सीट पर 40 साल के चुनावी इतिहास में 2017 में पहली बार कमल खिला था. उपचुनाव में भी बीजेपी की जीत हुई थी, लेकिन क्या इस बार भी बीजेपी अपना दबदबा कायम रख पाएगी? ये बड़ा सवाल है.

1977 में घाटमपुर सीट का गठन हुआ था. पहली बार जनता पार्टी का विधायक यहां से जीता. उसके 40 साल बाद 2017 में बीजेपी यहां पहली बार जीती थी. आलम यह था कि 1992 में बाबरी विध्वंस के बाद जब 1993 में चुनाव हुए तब भी प्रचंड हिंदुत्व की लहर के बाद भी बीजेपी यहां से नहीं जीत पाई थी. तब समाजवादी पार्टी ने पहली बार अपना परचम यहां से लहराया था. 1993 से 2002 तक लगातार 3 बार यह सीट सपा के ही खाते में रही. जबकि 2007 में यह सीट बसपा के हिस्से में चली गयी, लेकिन 2012 में यह सीट फिर सपा के खाते में आ गई थी. अगर हालिया स्थिति पर नजर डालें तो यह कहना बेहद कठिन है कि इस सीट पर किसकी जीत होगी और किसकी हार होगी? लेकिन यह तय है कि बीजेपी के लिए यह सीट बेहद कांटों भरी होने वाली है.

कानपुर की घाटमपुर विधानसभा सीट (ghatampur vidhan sabha kanpur) सुरक्षित सीट है. इस सीट पर ओबीसी और अनुसूचित जनजाति के वोटरों की संख्या सर्वाधिक है. 2017 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी की कमलरानी वरुण जीती थीं. कमल रानी वरुण को प्रदेश सरकार में कैबिनेट मंत्री बनाया गया था, लेकिन कोरोना की पहली लहर में उनका निधन हो गया था. इसके बाद घाटमपुर विधानसभा सीट पर उपचुनाव हुए थे. जिसमें बीजेपी के उपेंद्र पासवान ने शानदार जीत दर्ज की थी.

चुनाव आयोग के आंकड़ों के अनुसार घाटमपुर विधानसभा में 3,07,967 लाख मतदाता हैं. जिसमें 1,68,367 पुरूष तो 1,39,595 महिलाएं हैं. लेकिन जाति समीकरण के अनुसार इस सीट पर दलित वोटरों का बोलबाला है. हालांकि इस सीट पर हार जीत का फैसला ब्राह्मण और मुस्लिम वोट ही करता है. जिसका ही नतीजा था कि 2017 में हुए विधानसभा चुनाव में घाटमपुर में इन दोनों जाति के मतदाता का रुझान बीजेपी के तरफ कमला रानी वरुण के चलते हो गया था और लंबे समय से घाटमपुर विधानसभा में बीजेपी का परचम लहराने का सपना भी पूरा हो गया था.

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