tata to regain air india after 6 decades

केंद्र सरकार के सभी अधिकारी और कर्मचारी करेंगे एयर इंडिया से ही यात्रा, वित्त मंत्रालय ने जारी किए आदेश

केंद्र सरकार के कर्मचारी और अधिकारी LTC समेत अन्य कार्यालय के कार्य के लिए एयर इंडिया से ही यात्रा करेंगे. इस संबंध में वित्त मंत्रालय के व्यय विभाग ने सभी मंत्रालयों और विभागों को निर्देश दिए हैं. वहीं, एयर इंडिया ने क्रेडिट फैसिलिटी भी मंत्रालयों की खत्म कर दी है और वित्त मंत्रालय ने सभी मंत्रालयों को विमानन कंपनी के बकाया का भुगतान करने को कहा है. साथ ही साथ एयरलाइन से नकद में टिकट खरीदने का निर्देश दिया है.

अभी हाल ही में केंद्र सरकार ने टाटा संस के साथ एयर इंडिया की बिक्री के लिए 18000 करोड़ रुपए के एक शेयर खरीद समझौते पर हस्ताक्षर किए. इस महीने की शुरुआत में सरकार ने टाटा समूह की होल्डिंग कंपनी टाटा संस की इकाई टैलेस प्राइवेट लिमिटेड द्वारा 2,700 करोड़ रुपए का नकद भुगतान करने और एयरलाइन के कुल कर्ज के 15,300 करोड़ रुपए से अधिक की जिम्मेदारी लेने के प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया था.

उसके बाद 11 अक्टूबर को टाटा समूह को एक आशय पत्र (एलओआई) जारी किया गया था, जिसमें पुष्टि की गई थी कि सरकार एयरलाइन में अपनी 100 प्रतिशत हिस्सेदारी बेचने की इच्छा रखती है. निवेश और लोक संपत्ति प्रबंधन विभाग (दीपम) के सचिव तुहिन कांत पांडे ने ट्विटर पर लिखा था, ‘एयर इंडिया के रणनीतिक विनिवेश के लिए सरकार ने आज टाटा संस के साथ शेयर खरीद समझौते पर हस्ताक्षर किए.’

एयर इंडिया के निदेशक (वित्त) विनोद हेजमादी, नागर विमानन मंत्रालय के संयुक्त सचिव सत्येंद्र मिश्रा और टाटा समूह के सुप्रप्रकाश मुखोपाध्याय ने शेयर खरीद समझौते (एसपीए) पर हस्ताक्षर किए थे. टाटा संस को दिसंबर के अंत तक एयरलाइन का वास्तविक नियंत्रण अपने हाथों में लेने से पहले अब भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (सीसीआई) सहित विभिन्न नियामक संस्थाओं से मंजूरी लेनी होगी. सरकार एयर इंडिया और एयर इंडिया एक्सप्रेस के अपने 100 प्रतिशत स्वामित्व की बिक्री के साथ ही एयर इंडिया की ग्राउंड हैंडलिंग इकाई एआईएसएटीएस में एयर इंडिया की 50 प्रतिशत हिस्सेदारा का भी विनिवेश कर रही है.

टाटा ने सस्ती सेवाएं देने वाली एयरलाइन स्पाइसजेट के प्रवर्तक अजय सिंह के नेतृत्व वाले गठजोड़ द्वारा 15,100 करोड़ रुपए की पेशकश और घाटे में चल रही सरकारी एयरलाइन में अपनी 100 प्रतिशत हिस्सेदारी की बिक्री के लिए सरकार द्वारा निर्धारित 12,906 करोड़ रुपए के आरक्षित मूल्य से ऊपर बोली लगाकर संकटग्रस्त एयरलाइन के अधिग्रहण की रेस जीत ली थी. इस साल 31 अगस्त तक एयर इंडिया पर कुल 61,562 करोड़ रुपए का कर्ज था. सौदे के तहत इस कर्ज का 75 प्रतिशत या 46,262 करोड़ रुपए एक विशेष इकाई एयर इंडिया एसेट होल्डिंग्स प्राइवेट लि. (एआईएएचएल) को हस्तांतरित किया जाएगा. उसके बाद ही टाटा समूह को घाटे में चल रही एयरलाइन का नियंत्रण दिया जाएगा.

टाटा को एयर इंडिया की दिल्ली स्थित वसंत विहार हाउसिंग कॉलोनी, मुंबई के नरीमन पॉइंट में स्थित एयर इंडिया बिल्डिंग और नयी दिल्ली में एयर इंडिया बिल्डिंग जैसी गैर-मूल संपत्तियों का नियंत्रण अपने पास कायम रखने की अनुमति नहीं होगी. टाटा को मिलने वाले एयर इंडिया के 141 विमानों में से 42 पट्टे पर लिए गए विमान हैं जबकि बाकी 99 एयर इंडिया के खुद के विमान हैं.

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