29 सीटें, 6 पार्टियां और पूर्वांचल वोटर… दिल्ली चुनाव में यूपी-बिहार वाले कितने ताकतवर?

दिल्ली में पूर्वांचली मतदाताओं की संख्या 20 प्रतिशत है. राजधानी की उत्तम नगर, बुरारी, संगम विहार, त्रिलोकपुरी और समयपुर बादली जैसी सीटों पर 50 प्रतिशत और उससे ज्यादा पूर्वांचली मतदाता हैं.

दिल्ली के दंगल में बिहार और उत्तर प्रदेश के वोटरों को लेकर महासंग्राम छिड़ गया है. एक तरफ आम आदमी पार्टी जहां बीजेपी पर पूर्वांचलियों के वोट कटवाने का आरोप लगा रही है तो वहीं बीजेपी पूर्वांचलियों के अपमान को लेकर अरविंद केजरीवाल पर लगातार हमलावर है. शुक्रवार को बीजेपी कार्यकर्ताओं ने केजरीवाल के एक बयान को लेकर उनके आवास के बाहर प्रदर्शन भी किया.

इसी बीच कांग्रेस ने राजधानी दिल्ली में कुंभ की तर्ज पर छठ महापर्व कराने और शारदा सिन्हा के नाम पर जिला घोषित करने की बात कही है.

दिल्ली में कितने पूर्वांचली?

राजधानी दिल्ली में बिहार-यूपी से ताल्लुकात रखने वाले मतदाताओं की संख्या करीब 20 प्रतिशत है, जो किसी अन्य समुदाय की तुलना में सबसे ज्यादा है. राजधानी दिल्ली में बिहार-यूपी से आने वाले मतदाता करीब 29 सीटों पर जीत-हार में अहम भूमिका निभाते हैं. दिल्ली की उत्तम नगर, किराड़ी, बुरारी, संगम विहार, त्रिलोकपुरी और समयपुर बादली जैसी सीटों पर पूर्वांचली मतदाता ही एक्स फैक्टर हैं.

पूर्वांचली वोटरों को साधने के लिए 1998 में कांग्रेस ने शीला दीक्षित को आगे किया था. कांग्रेस को इसका फायदा मिला और 15 साल तक दिल्ली में दीक्षित का शासन रहा, लेकिन 2013 में दिल्ली के पूर्वांचली वोटर्स आप की तरफ मूव कर गए.

2013 के बाद पूर्वांचली मतदाता एकतरफा आम आदमी पार्टी की तरफ आ गए. 2015 और 2020 के चुनाव में इन सीटों पर आम आदमी पार्टी ने ही जीत हासिल की. आप ने पूर्वांचली समाज को इसका इनाम भी दिया और इस समाज से आने वाले गोपाल राय को मंत्री बनाया.

इस बार भी आप ने पूर्वांचल से आने वाले संजीव झा (बुरारी), अनिल झा (किरारी), दिनेश मोहनिया (संगम विहार), अवध ओझा (पटपड़गंज) और गोपाल राय (बाबरपुर) को टिकट दिया है.

वहीं पूर्वांचलियों को साधने के लिए भारतीय जनता पार्टी ने अपने बिहार और यूपी के बड़े नेताओं की ड्यूटी लगाई है. ये नेता गली-गली घूमकर पार्टी के पक्ष में माहौल बनाएंगे.

6 पार्टियों में सियासी लड़ाई

बिहार-यूपी से आने वाले इन मतदाताओं को साधने के लिए 6 पार्टियां सियासी तौर पर मुखर हैं. इनमें 3 (आप, कांग्रेस और बीजेपी) राष्ट्रीय पार्टी है तो 3 (आरजेडी, जेडीयू और लोजपा-आर) क्षेत्रीय पार्टी.

2020 में आरजेडी ने 4, जेडीयू ने 2 और लोजपा ने एक उम्मीदवार उतारे थे. तीनों ही पार्टियों को जीत तो नहीं मिली लेकिन उसने करीब 2 प्रतिशत वोट जरूर हासिल किए. इस चुनाव में भी इन तीनों ही पार्टियों के मैदान में उतरने की चर्चा है.

नीतीश कुमार की जेडीयू और लालू यादव की आरजेडी दिल्ली चुनाव में पहले विधानसभा की सीटें जीतती भी रही है.

वोटरों का ऐसे साध रही पार्टियां

पूर्वांचली वोटरों को साधने के लिए आम आदमी पार्टी अवैध कॉलोनियों को वैध करने का मामला उठा रही है. आप का कहना है कि पिछले चुनाव में बीजेपी ने कच्ची कॉलोनियों को वैध करने की घोषणा की थी, लेकिन पार्टी अब इससे मुकर रही है.

वहीं बीजेपी पूर्वांचलियों को लेकर दिए गए अरविंद केजरीवाल के एक बयान को मुद्दा बना रही है. बीजेपी का कहना है कि आप पूर्वांचल मतदाताओं को सम्मान नहीं दे रही है. बीजेपी ने सम्मान पदयात्रा भी निकाली है.

वहीं कांग्रेस पूरे मामले में पूर्वांचलियों के मशहूर छठ पर्व को मुद्दा बना रही है.

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