Third wave of COVID-19 In India: एक और घातक लहर के लिए कितने तैयार हम?

विशेषज्ञ इसी साल महामारी की तीसरी लहर की भी आशंका जताने लगे हैं। राष्ट्रीय कोविड-19 टास्क फोर्स के सदस्य तथा बेंगलुरु स्थित इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ पब्लिक हेल्थ के महामारी विशेषज्ञ व प्रोफेसर डॉ. गिरिधर बाबू का मानना है कि इसी साल नवंबर व दिसंबर में तीसरी लहर आ सकती है। इसलिए जरूरी है कि दीवाली से पहले कमजोर वर्ग का टीकाकरण पूरा कर लिया जाए, ताकि हजारों जानें बचाई जा सकें। उन्होंने चेताया है कि तीसरी लहर कम उम्र वालों को ज्यादा प्रभावित करेगी। हालांकि, तीसरी लहर का आना कई पहलुओं पर निर्भर करेगा। मसलन, टीकाकरण की स्थिति, कोरोना का प्रसार करने वाले आयोजनों की रोकथाम। सबसे अहम यह है कि हम नए वैरिएंट को कितना जल्द पहचानते हैं और उसे एक दायरे में सीमित कर देते हैं।

विशेषज्ञों का मानना है कि तीसरी लहर और ज्यादा खतरनाक होगी, क्योंकि इस बार के संक्रमितों में कोविड-19 के खिलाफ विकसित हुई इम्युनिटी तब तक खत्म हो चुकी होगी। बस एक ही रास्ता है कि नवंबर तक बड़ी आबादी का टीकाकरण कर दिया जाए, ताकि कोरोना उतना प्रभावी न रह जाए। वे कहते हैं कि टीकाकरण को रफ्तार देने के लिए छोटे स्तर पर कार्ययोजना तैयार करने और उसके प्रभावी क्रियान्वयन की जरूरत है। दूसरी लहर के मंद पड़ते ही हमें नियमन की प्रभावी रणनीति बनानी होगी। ताकि संक्रमितों और मृतकों की संख्या को कम किया जा सके। त्वरित जांच और लोगों को आइसोलेट करने के लिए जिलों में स्थापित प्रयोगशालाओं को सुविधायुक्त बनाना होगा।

देश में 16 करोड़ से ज्यादा खुराकें दी जा चुकी हैं। लेकिन, टीकाकरण की रफ्तार अब धीमी पड़ने लगी है। अभी करीब 11 फीसद आबादी को ही पहली खुराक मिल पाई है। 40-50 लाख लोगों को एक दिन में टीकाकरण का लक्ष्य रखा गया था, जो शायद ही किसी दिन हासिल हुआ हो।

केंद्र सरकार के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार प्रो. के. विजय राघवन भी एक प्रेस कांफ्रेंस के दौरान कह चुके हैं कि भारत में तीसरी लहर की आशंका बरकरार है। उन्होंने कहा था कि हमारी वैक्सीन नए वैरिएंट के खिलाफ भी प्रभावी है, लेकिन हमें और काम करने की जरूरत है। कोरोना वायरस में बदलावों की आशंका का आकलन करते हुए उसके अनुरूप वैक्सीन में भी बदलावों के लिए तैयार रहना चाहिए।

भारत की लड़ाई: दूसरी लहर से निपटने के लिए स्वास्थ्य सेवाओं को बेतर करने की कोशिश चल रही है। ऑक्सीजन की किल्लत को देखते हुए दुनिया के अन्य देशों से उत्पादन इकाइयों की स्थापना के लिए उपकरण मंगाए जा रहे हैं। स्वास्थ्य विभाग, सेना व सामाजिक संगठनों द्वारा कोविड के इलाजे के लिए सुविधाएं विकसित की जा रही हैं। कोरोना जांच में तेजी लाई गई है। हालांकि, आपतकालीन स्थितियों से निपटने में टीकाकरण की रफ्तार प्रभावित हुई है। वैक्सीन की कमी की शिकायतों के बाद सरकार ने रूसी स्पुतनिक वी के इस्तेमाल की इजाजत तो दी ही, दुनिया की अन्य वैक्सीन के लिए भी भारत के दरवाजे खोल दिए। इसके साथ ही केंद्र सरकार ने राज्यों को परिस्थितियों के अनुरूप माइक्रो कंटेनमेंट जोन बनाने और स्थानीय लॉकडाउन लगाने की छूट दी है।

चाहे अमेरिका हो या यूरोप, ब्रिटेन हो या इजरायल जिस किसी देश ने कोरोना की दूसरी, तीसरी या चौथी लहरों को रोका है, वहां की जनता ने बहुत सूझबूझ के साथ अपनी जिम्मेदारियों का निर्वहन किया है। विश्व स्वास्थ्य संगठन व देशों की सरकारों ने कोरोना से निपटने के लिए मास्क पहनने, शारीरिक दूरी का पालन करने और बार-बार हाथ धोने जैसे नियम बनाए और जनता ने इनका पूरी तत्परता के साथ पालन किया। यह भी एक वजह रही कि कोरोना की लहरें वहां कम नुकसान पहुंचा सकी।

अमेरिका: पिछले साल जुलाई में पहली लहर आई। स्वास्थ्य सुविधाओं की मजबूत शृंखला ने तत्परता से इलाज शुरू किया। इसके बाद छोटी-छोटी कई लहरें आईं, लेकिन घातक दूसरी लहर नवंबर में शुरू हुई और जनवरी में विकराल हो गई। तीन लाख के करीब दैनिक संक्रमण के मामले आने लगे। इसी दौरान वहां व्यापक रूप से टीकाकरण ने फरवरी तक इसे कुंद कर दिया।

ब्रिटेन : दिसंबर में जब कोरोना का नया वैरिएंट आया तो ब्रिटेन में संक्रमण के दैनिक मामले 70 हजार के करीब पहुंच गए। कई चरणों में लॉकडाउन लागू करना पड़ा। जांच व एंटीबॉडी टेस्ट की गति तेज कर दी। सरकार ने रोजाना ढाई लाख जांच का लक्ष्य निर्धारित किया और उससे कहीं ज्यादा लोगों की जांच होने लगी। दिसंबर में ही टीकाकरण का तेज अभियान शुरू हुआ जिससे राहत मिली।

यूरोप : पिछले साल नवंबर में यूरोपीय देशों में कोरोना की दूसरी लहर कहर बनकर टूटने लगी। जनवरी आते-आते दैनिक संक्रमितों की संख्या तीन लाख के आसपास रहने लगी। मौतों का आंकड़ा तीन हजार से बढ़कर सात हजार हो गया। इसे देखते हुए सरकार को लाकडाउन लागू करना पड़ा। इसके साथ ही टीकाकरण की रफ्तार बढ़ा दी। इसका नतीजा रहा कि जल्द ही मामलों में 30 फीसद की गिरावट दर्ज की गई। अब सभी यूरोपीय देशों को मिलाकर वहां दैनिक संक्रमितों की संख्या 60 हजार के आसपास रह गई है।

इजरायल : वैसे तो इजरायल में कोरोना वायरस की कई लहरें आईं, लेकिन हर बार जल्द ही कमजोर पड़ती गईं। टीकाकरण की तैयारियां तभी शुरू हो गई थीं, जब टीकों का परीक्षण अंतिम दौर में था। जनवरी में तत्परता के साथ टीकाकरण की शुरुआत हुई और आज 58 फीसद आबादी को वैक्सीन की दोनों खुराक दी जा चुकी है।

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