पिछले कुछ महीनों से RBI द्वारा नीतिगत दरों में की गई बड़ी कटौती के कारण देश के करीब सभी प्रमुख बैंकों ने जमा पर ब्याज दरों में कटौती की है। कई बैकों की FD ब्याज दरें तो 10 सालों के न्यूनतम स्तर पर आ गई हैं। इससे भारतीयों के बीच काफी लोकप्रिय रहने वाले निवेश विकल्प फिक्स डिपॉजिट (FD) का आकर्षण अब घटने लगा है।
ऐसे में निवेशक ज्यादा रिटर्न पाने के लिए Small Finance Banks की तरफ देख रहे हैं। Small Finance Banks अभी भी एफडी पर 8 फीसद तक ब्याज दर की पेशकश कर रहे हैं। ये आकर्षक ब्याज दरें निवेशकों को अपनी ओर आकर्षित करती हैं, लेकिन उनके मन में Small Finance Banks को लेकर एक असुरक्षा की भावना भी रहती है। आइए जानते हैं कि स्मॉल फाइनेंस बैंकों की निवेश योजनाओं में पैसा लगाना कितना सुरक्षित है।
लोगों को लगता है कि जब बड़े बैंक उच्च ब्याज दर नहीं दे रहे हैं, तो क्या कारण है कि Small Finance Banks उच्च ब्याज दर की पेशकश कर रहे हैं। यहां यह जानना जरूरी है कि जब बड़े बैंकों के पास भारी लिक्विडिटी मौजूद होती है, तो वे और अधिक जमा प्राप्त करने के कम इच्छुक होते हैं। यह बात Small Finance Banks पर लागू नहीं होता है। Small Finance Banks बड़े बैंकों की तुलना में फिक्स डिपॉजिट्स पर अधिक ब्याज दर की पेशकश करते हैं, क्योंकि वे अधिक से अधिक ग्राहकों को अपनी तरफ आकर्षित करना चाहते हैं।
जहां तक बात फिक्स डिपॉजिट की बात है, तो निवेशकों को एक ही बैंक में अपनी सारी पूंजी नहीं लगानी चाहिए। निवेशकों को अलग-अलग Small Finance Banks में अपनी पूंजी लगानी चाहिए। निवेशक जान लें कि बैंक में 5 लाख तक की राशि DICGC के डिपॉजिट इंश्योरेंस प्रोग्राम के तहत बीमित होती है। अर्थात एक बैंक में 5 लाख तक की पूंजी निवेश करना सुरक्षित रहता है।
स्मॉल फाइनेंस बैंक पब्लिक सेक्टर के बैंको और निजी क्षेत्र के बैंकों की तरह ही RBI द्वारा अनुसूचित बैंकों के रूप में वर्गीकृत होते हैं। इसलिए Small Finance Banks सीधे भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा रेगूलेट होते हैं। स्मॉल फाइनेंस बैंकों में 5 लाख से अधिक की राशि उतनी ही सुरक्षित है, जितनी सरकारी बैंकों और निजी क्षेत्र के बैंकों में सुरक्षित होती है।