विधान परिषद चुनाव के बाद से महाराष्ट्र की राजनीति (Maharashtra Politics) में आया भूचाल थमने का नाम नहीं ले रहा है. एकनाथ शिंदे खेमें और उद्धव ठाकरे के बीच सियासी खींचतान जारी है. एक तरफ शिंदे गुवाहटी में बैठकर अपनी ताकत दिखा कर विधायक दल का नेता चुने जाने की बात कर रहे हैं तो वहीं दूसरी तरफ अब बागी विधायकों को लेकर सीएम उद्धव ठाकरे के तेवर भी सख्त होते दिख रहे हैं. राजनीतिक संकट के बीच शनिवार को शिवसेना की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक हुई. बैठक में कई अहम मुद्दों पर बात हुई. बैठक में तीन बड़े प्रस्ताव भी पारित किए गए. इन प्रस्तावों में कहा गया कि पार्टी में निर्णय लेने के सभी अधिकार शिवसेना चीफ उद्धव ठाकरे के पास ही रहेंगे और कोई भी बागी विधायक बालासाहेब ठाकरे और शिवसेना के नाम का इस्तेमाल नहीं कर सकेगा.
महाराष्ट्र की राजनीति के लिए शनिवार को भी पूरा दिन गहमा गहमी भरा रहा. जहां एक तरफ उद्धव ठाकरे की अध्यक्षता में शिवसेना की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक हुई वहीं एकनाथ शिंदे के नेतृत्व में भी गुवाहाटी में बागी विधायकों की मीटिंग हुई. मीटिंग में बागी खेमे ने शिवसेना से अलग होकर अपना एक नया गुट बनाने का ऐलान कर दिया इसी के साथ विद्रोही गुट की तरफ से यह भी कहा गया कि वह अपने गुट का नाम शिवसेना बालासाहेब रखने पर विचार कर रहे हैं.
पार्टी में विद्रोह के बाद आशंका जताई जा रही है कि शिवसेना कार्यकर्ता सड़कों पर उतर सकते हैं इसलिए पुलिस को भी सतर्क रहने के निर्देश दिए गए हैं. महा विकास अघाड़ी सरकार में कई लोगों का मानना है कि अगर शिवसैनिकों को हिंसा फैलाने से नियंत्रित नहीं किया गया, तो यह केंद्र को एक मौका देगा कि वह राष्ट्रपति शासन की सिफारिश करे और फिर वर्तमान सरकार के पास सत्ता बचाने का कोई आधार नहीं बचेगा.
मुंबई में प्रमुख नेताओं विशेषकर शिवसेना के विद्रोही और भाजपा के देवेंद्र फडणवीस के घरों और चौक-चौराहों पर सुरक्षा दोगुनी कर दी गई है, किसी भी हिंसक विरोध प्रदर्शन को रोकने के लिए पुलिस नजर बनाए हुए है. इससे पहले उद्धव ठाकरे ने शुक्रवार शाम शिवसेना के बृहन्मुंबई महानगर पालिका पार्षदों के साथ बैठक की. उन्होंने मीटिंग में कहा,`’कुछ दिन पहले मुझे शक हुआ तो मैंने एकनाथ शिंदे को फोन किया और कहा, शिवसेना को आगे ले जाने का अपना कर्तव्य निभाओ, ऐसा करना सही नहीं है. उन्होंने मुझसे कहा NCP-कांग्रेस हमें खत्म करने की कोशिश कर रही है और विधायक चाहते हैं कि हम BJP के साथ जाएं.’ उद्धव ठाकरे ने कहा कि जो लोग कहा करते थे कि मरते दम तक शिवसेना नहीं छोड़ेंगे, वे भाग गए. आज एनसीपी और कांग्रेस हमारा साथ दे रहे हैं, लेकिन हमारे अपनों ने पीठ में छुरा घोंपने का काम किया.