ayodhya ram temple

पीले रंग से क्यों रंगी जा रही अयोध्या? हिंदू धर्म में इसका क्या महत्व?

अयोध्या में पांच अगस्त को राम मंदिर के लिए भूमि पूजन कार्यक्रम को लेकर देश़-विदेश की नजर इस तीर्थनगरी पर है। अयोध्या को इन खास पलों के लिए तैयार करते हुए, कोशिश की जा रही है कि शहर में जहां तक भी दृष्टि जाए, देखने वाले को पीला ही पीला रंग दिखाई दे।

अयोध्या के हाल-फिलहाल के इतिहास में ऐसा पहली बार है, जब पूरे शहर में पीले रंग का इतना वर्चस्व देखा जा रहा है। हालांकि अयोध्या जिला प्रशासन का कहना है कि पीला रंग चुनने की कोई खास वजह नहीं है। प्रशासन के अनुसार मंदिर के आसपास का क्षेत्र प्रशासनिक तौर पर ‘येलो जोन’ में आता है।


शहर के क्या महत्वपूर्ण स्थल, और क्या सड़कों के किनारे की दीवारें, सभी को पीला रंगा जा रहा है। इसमें मकान, दुकानें और अन्य निर्माण सब शामिल हैं। अयोध्या की मुख्य सड़क के दोनों तरफ पीला ही पीला दिखने लगा है।
हिंदू परंपरा की बात की जाए तो पीले रंग का इस्तेमाल धार्मिक अनुष्ठान, पूजा पाठ और विद्या के लिए बहुत शुभ माना जाता है। घरों की बाहरी दीवारों पर पीले रंग पुताई अच्छी मानी जाती है। रामलला के मुख्य पुजारी महंत सत्येंद्र दास का कहना है कि पीला रंग भगवान विष्णु का प्रिय है इसलिए अयोध्या को पीले रंग से रंगना शहर को ईश्वर के रंग में रंगने जैसा है।


पीले रंग का पौराणिक महत्व

हिंदू धर्म की मान्यताओं के अनुसार और जैसा कि महंत सत्येंद्र दास ने बताया, पीले रंग का भगवान विष्‍णु से खास जुड़ाव माना जाता है। इन मान्यताओं में भगवान विष्णु के सातवें प्रमुख अवतार भगवान राम को मर्यादा पुरुषोत्तम के नाम से जाना जाता है और इस अवतार में भगवान विष्णु ने समस्त लोकों को मर्यादा में रहने का संदेश दिया।


शुभ कार्यों और ज्योतिष में पीला

हिंदू धर्म में शुभ कार्यों में पीले रंग के वस्त्रों का इस्तेमाल बहुतायत में होता है। मांगलिक कार्यों में पीले रंग की हल्दी इस्तेमाल होता है। वहीं ज्योतिष शास्त्र में माना जाता है कि पीला रंग मन को शांत रखता है और नकारात्मक विचारों को दूर करता है। साथ ही पीला रंग पहनने से गुरु ग्रह को मजबूती मिलती है।

रामजन्मभूमि के मुख्य पुजारी सत्येंद्र दास ने कहा कि आप इसे सिर्फ पीला ना कहें, भगवा हो या गेरुआ, यह सब पीले के ही प्रकार हैं। क्योंकि भगवान विष्णु को पीतांबर कहा गया है इसलिए अयोध्या को पीला किया जाना, इसे ईश्वर के रंग में सराबोर करने के समान है।


महंत सत्येंद्र दास के अनुसार यूं तो भगवान राम का वस्त्र प्रतिदिन रंगों के हिसाब से बदला जाता है, लेकिन पीले रंग का एक वस्त्र हमेशा से भगवान राम के गले में होता है।

क्या कहना है प्रशासन का?

अयोध्या के जिलाधिकारी अनुज झा ने शहर को पीला रंगने के पीछे धार्मिक या पौराणिक वजह की जगह इसे सुंदरता और प्रशासनिक कारण से जोड़ा। जिलाधिकारी ने कहा कि पीला रंग किसी खास वजह से पसंद नहीं किया गया, बल्कि दिखने में सबसे सुंदर लगे, इसलिए इस रंग को चुना गया। अनुज झा ने ये भी कहा कि प्रशासनिक तौर पर मंदिर के आसपास का इलाका ‘येलो ज़ोन’ कहा जाता है।

बहरहाल, जिस तेजी से अयोध्या को रंगने का काम किया जा रहा है, अगले दो-तीन दिन में पूरी अयोध्या ‘येलो सिटी’ में तब्दील हो जाएगी।

Leave a Comment

Your email address will not be published.

बिहार के इन 2 हजार लोगों का धर्म क्या है? विश्व का सबसे अमीर क्रिकेट बोर्ड कौन सा है? दंतेवाड़ा एक बार फिर नक्सली हमले से दहल उठा SATISH KAUSHIK PASSES AWAY: हंसाते हंसाते रुला गए सतीश, हृदयगति रुकने से हुआ निधन India beat new Zealand 3-0. भारत ने किया कीवियों का सूपड़ा साफ, बने नम्बर 1