भारत में Corona महामारी के प्रसार से लेकर अब तक के आंकड़ों पर गौर करें तो ऐसा लगता है कि देश बाजी जीतकर भी हार गया। और इसके पीछे सबसे प्रमुख वजह है, दिल्ली की तब्लीगी जमात। क्योंकि 29 अप्रैल तक भारत में Corona संक्रमण के मामले करीब 1200 तक थे। लेकिन 30 अप्रैल को निजामुद्दीन का मामला सामना आने के बाद अचानक से Corona के मामलों में तेजी आ गयी। ऐसी तेजी कि अभी तक जहां Coronavirus को 1000 का आंकड़ा छूने में दो महीने से भी ज्यादा का वक्त लगा। वहीं 30 अप्रैल से 4 अप्रैल के बीच देश भर में यह संख्या 3200 को पार कर गयी। यानी कि 6 दिन में दोगुने से भी ज्यादा मरीज सामने आए।
सरकार के साथ ही तमाम विशेषज्ञों का मानना है कि यदि तब्लीगी जमात ने खेल न बिगाड़ा होता तो महामारी के खिलाफ आज देश लगभग जीत चुका होता। जमातियों ने केवल संक्रमण को बढ़ाया बल्कि यह लोग जांच और इलाज में भी काफी मुश्किल खड़ी कर रहे हैं। सरकार भी इन कट्टरपंथियों से परेशान है। देश भर में तब्लीगी जमात के साथ ही कुछ अन्य लोगों ने डाक्टरों, स्वास्थ्यकर्मियों और पुलिस के साथ जो व्यवहार किया है, उससे पूरे देश में आक्रोश है।
लेकिन ऐसा नहीं है कि केवल भारत में ही ऐसे कट्टरपंथी Corona के खिलाफ लड़ाई को कमजोर कर रहे हैं। इजरायल में भी अल्ट्रा-ऑर्थोडॉक्स समुदाय वहां की सरकार के लिए चिंता का सबब बना हुआ है। इस समुदाय के लोग अपने धार्मिक नेताओं के बहकावे में आकर लगातार सरकारी निर्देशों की अवहेलना कर रहे हैं। जिसके परिणाम स्वरूप इस समुदाय के हजारों लोग संक्रमण की चपेट में आ गए हैं। इजरायल का बनेई ब्राक इलाका Corona संक्रमण का प्रमुख केंद्र बन गया।
इन कट्टरपंथियों ने दिशा-निर्देशों को दरकिनार करते हुए दुकानें खोल रखी थीं। जिससे निपटने में स्थानीय प्रशासन को ऐड़ी-चोटी का जोर लगाना पड़ा। अब सेना जल्द ही स्थानीय प्रशासन की मदद को सड़क पर उतरने वाली है। विशेषज्ञों का मानना है कि 40 प्रतिशत आबादी पहले ही संक्रमित हो चुकी है। क्योंकि यह लोग अपने धर्म गुरुओं की बातों का अंध अनुसरण कर रहे हैं।