अंतरराष्ट्रीय पाइल्स दिवस के मौके पर जन जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन करेगा KGMU

पाइल्स के प्रति जागरूकता बढ़ाने के लिए शल्य चिकित्सा विभाग किंग जार्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी आने वाले 20 नवम्बर को अंतरराष्ट्रीय पाइल्स दिवस के अवसर पर जन जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन करेगा। इस कार्यक्रम के बारे में जानकारी देते हुए एसिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. मनीष कुमार अग्रवाल ने कहा कि इस मौके पर एक पोस्टर प्रतियोगिता का भी आयोजन किया जाएगा। जिसमें मेडिकल व पैरामेडिकल व नर्सिंग के छात्र भाग लेंगे। सभी पोस्टरों में से उत्तम पोस्टरों को पुरस्कृत किया जाएगा।

पाइल्स एक साधारण रोग है। लगभग 50% लोगों को जीवनकाल में इस बीमारी से पीड़ित होने की संभावना होती है। जिसे स्वस्थ्य जीवनशैली अपना कर कम किया जा सकता है। सही समय पर सटीक इलाज कराने से इसका निवारण संभव है। इस जागरूकता अभियान से लोगों को पाइल्स से बचने व स्वस्थ्य जीवनशैली के लिए प्रोत्साहित करना और भ्रामक जानकारी से दूर रहना है। पाइल्स शरीर का नार्मल अंग है।

जो कॉटिनैंस की प्राकृतिक परिक्रिया में अपना योगदान देता है। यह गुदा जैसा वैस्कुलर कुशन के रूप में होता है। कभी-कभी इसमें खून का अधिक भराव या अपने स्थान से नीचे खिसकने के कारण मरीज में लक्षण आते हैं। पाइल्स के मुख्य लक्षण खून आना गुदा द्वारा सूजन होना दर्द होना है। आमतौर पर यह लक्षण स्वत: ही ठीक हो जाते हैं या कभी-कभी इसके इलाज की जरूरत पड़ती है। 80% तक मरीजों में बिना ऑपरेशन के सफल इलाज हो जाता है।

वहीं सर्जरी विभाग के प्रोफेसर डॉ. अरशद अहमद ने कहा कि कभी-कभी यह लक्षण बढ़ जाते हैं, जहां गंभीर परेशानियां भी हो सकती है। जैसे (एनीमिया) शरीर में खून की कमी होना। बवासीर में खून का थक्का जमना। ऐसी स्थिति में मरीज को तुरंत भर्ती करके सघन इलाज की जरूरत पड़ती है। उन्होंने कहा कि आमतौर से लोग इस बीमारी के लिए योग्य चिकित्सक को दिखाने के बजाय देसी इलाज नीम, हकीम झाड़ूफूक इत्यादि के चक्कर में पड़ जाते हैं। जिससे यह बीमारी का स्वरूप जटिल हो जाता है। वह कभी-कभी गंभीर दुष्परिणाम जैसे कि इनकांटीनेंस या एनल स्टेनोसिस हो सकती है।

डॉ. अरशद अहमद ने कहा कि कभी-कभी मरीज को अन्य गंभीर बीमारियों जैसे कि अल्सरेटिव कोलाइटिस रेक्टल कैंसर होने पर शुरुआती लक्षण ऐसे होते हैं। जैसे बवासीर में होते हैं। मरीज का परीक्षण करके आसानी से इन बीमारियों का पता चल सकता है, उपयुक्त इलाज भी हो सकता है। अगर मरीज बिना योग चिकित्सक से परीक्षण कराए पाइल्स समझकर इसका इलाज करवाता है, तो असल बीमारी का पता चलने में काफी समय लग जाता है और इलाज मुश्किल हो जाता है।

इसलिए जरूरी है कि जब भी इस प्रकार के लक्षण हो तो किसी योग चिकित्सक से परामर्श लिया जाए और दुष्प्रचारों से बचा जाए। उन्होंने कहा कि सर्जरी विभाग द्वारा पहल करके पाइस जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया जा रहा है।

इस कार्यक्रम का उद्देश्य इसी विषय में जागरूकता पैदा करना हेल्थी लाइफस्टाइल प्रमोट करना है। जिससे पाइल्स की समस्या से बचा जा सके। लक्षण आने पर बजाएं देशी इलाज या इंटरनेट से इलाज करने से किसी योग चिकित्सक से परामर्श किया जाए। इस कार्यक्रम में जनसाधारण से कोई भी व्यक्त सम्मिलित होकर पाइल्स से बचाव व इलाज के बारे में पूर्ण जानकारी प्राप्त कर सकता है।

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