केन्द्र सरकार ने यह साफ कर दिया है कि वह जातीय जनगणना नहीं कराएगी। ऐसे में CM नीतीश कुमार को इस मसले पर अपना स्टैंड साफ करना होगा। बिहार BJP को भी यह साफ करना होगा कि वह केन्द्र के रुख से सहमत है या असहमत। क्योंकि बिहार विधानसभा से इस संबंध में पारित प्रस्ताव पर उनकी सहमति थी। CM नीतीश का रुख सामने आने के बाद महागठबंधन आगे की रणनीति तय करेगा। महागठबंधन में शामिल सभी दलों के नेताओं के साथ नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने इस मसले पर शुक्रवार को बैठक की।
तेजस्वी ने कहा कि बिहार विधानसभा से इसका प्रस्ताव दो बार सर्वसम्मति से पारित हो चुका है। देश भर के 90 फीसदी लोग चाहते हैं कि जाति जनगणना हो। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार नहीं चाहती है तो बिहार विधानमंडल से सर्वदलीय पारित करने वाले प्रस्ताव में बिहार भाजपा कैसे शामिल हुई। क्या बिहार भाजपा और केन्द्र की भाजपा अलग-अलग है। उन्होंने बताया कि महागठबंधन की बैठक में निर्णय हुआ कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार इस मुद्दे पर अपना और राज्य सरकार का रुख तीन दिनों में साफ करें। मंडल कमीशन की रिपोर्ट से ही पता चला था देश में कितनी जातियां हैं। केन्द्र ये बताये कि जनगणना में जातीय जोड़ देने से अलग से कोई खर्च आयेगा क्या? देश एक है तो जनगणना एक होना चाहिए और पूरा देश में जातीय जनगणना होना चाहिए।
RJD अध्यक्ष लालू प्रसाद ने जतीय जनगणना को लेकर केन्द्र सरकार के फैसले पर आपत्ति जताई है। कहा है कि पता नहीं BJP और आरएसएस के लोगों को पिछड़ों और अति पिछड़ों से इतनी नफरत क्यों है? ऐसे लोगों का समाजिक बहिष्कार होना चाहिए। जातीय जनगणना से सभी वर्गों का भला होगा। इससे सबकी वास्तविक स्थिति का पता चलेगा। उन्होंने कहा है कि यह कैसी बात है कि देश में सांप-बिच्छू, तोता-मैना, हाथी-घोड़ा, कुत्ता-बिल्ली, सुअर-सियार सहित सभी पशु-पक्षी पेड़-पौधे गिने जाएंगे, लेकिन पिछड़े-अतिपिछड़े वर्गों के इंसानों की गिनती नहीं होगी। केन्द्र के इस रवैये पर उन्होंने आश्चर्य भी व्यक्त किया है। राजद अध्यक्ष ने कहा है कि भाजपा और संघ परिवार पिछड़ा व अतिपिछड़ा वर्ग के साथ बहुत बड़ा छल कर रहा है। अगर केंद्र सरकार जनगणना फॉर्म में एक अतिरिक्त कॉलम जोड़कर देश की कुल आबादी के 60 फ़ीसदी से अधिक लोगों की जातीय गणना नहीं कर सकती तो ऐसी सरकार और इन वर्गों के चुने गए सांसदों व मंत्रियों पर धिक्कार है। ऐसे लोगों का सामूहिक सामाजिक बहिष्कार होना चाहिए।
जल संसाधन मंत्री संजय झा ने कहा है कि हमें आज भी उम्मीद है कि जिस भावना को लेकर सभी दलों के प्रतिनिधिमंडल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की थी, उसका सम्मान करते हुए केंद्र सरकार की तरफ से कुछ साकारात्मक पहल जरूर होगी। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार इस मुद्दे को पिछले 30 वर्षों से उठाते रहे हैं। जातीय जनगणना जरूरी है और यह होना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि मुख्यमंत्री ने बिहार में अतिपिछड़ा समाज के लिए जो काम किया है, वह किसी से छिपा नहीं है। एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री ने बिहार में जहां पिछड़ा और अतिपिछड़ा वर्ग के लोगों को सम्मान देने का काम किया, वहीं राजद ने 15 वर्षों के अपने शासनकाल में पिछड़ा और अतिपिछड़ा समाज को सिर्फ वोट के लिए इस्तेमाल किया। इस अवसर पर पार्टी के राष्ट्रीय सचिव रवीन्द्र सिंह एवं प्रदेश उपाध्यक्ष नवीन आर्य चन्द्रवंशी उपस्थित थे।
JDU के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह ने एक सवाल के जवाब में कहा है कि अभी जातीय जनगणना शुरू नहीं हुई है। ना ही इस पर कोई फैसला हुआ है। अभी केंद्र सरकार ने इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट में अपनी बात रखी है। इस पर फैसला होना बाकी है। शुक्रवार को पार्टी कार्यालय में पत्रकारों के साथ बातचीत के दौरान ललन सिंह ने ये बातें कहीं।